एक अन्य कथा के अनुसार मां दुर्गा ने नौ दिनों तक दुष्ट राक्षस महिसासुर से युद्ध कर दसवें दिन उसे पराजित किया था। इसलिए भक्त लगातार नौ दिनों तक उपासना कर मां को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस समय पूरी श्रद्धा से मां दुर्गा की पूजा करने से आपके सभी कष्ट दूर हो सकते हैं और आप एक समृद्ध जीवन की शुरुआत कर सकते हैं।
ये हैं मां दुर्गा के नौ स्वरूप
Durga Ji Ke Nav Roop: शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नव दुर्गा उत्सव में पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।शारदीय नवरात्रि पूजा सामग्री
Shardiya Navratri Puja Samagri 2024: शारदीय नवरात्रि में पूजा के लिए कुमकुम, फूल, देवी की मूर्ति या फोटो, जल से भरा कलश, मिट्टी का बर्तन, जौ, लाल चुनरी, लाल वस्त्र, मौली, नारियल, साफ चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, कपूर, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी / तेल, धूप, फल-मिठाई और कलावा आदि की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा तोरण सजाने के लिए आम के पत्ते, गंगाजल, गणेश जी की मूर्ति, चौकी, दूब, दुर्गा सप्तशती, अगरबत्ती और धूपबत्ती की जरूरत पड़ती है।शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना और पूजा विधि (Shardiya Navratri Kalash sthapana Vidhi)
- सबसे पहले सुबह उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
- पूरे घर को शुद्ध करने के बाद मुख्य द्वार की चौखट पर आम के पत्तों का तोरण सजाएं।
- पूजा के स्थान को साफ करें और गंगाजल से पवित्र करें।
- शुभ मुहूर्त में वहीं चौकी लगाएं और माता की माता की प्रतिमा स्थापित करें। संभव हो तो शैलपुत्री की भी प्रतिमा रखें।
- मां दुर्गा और गणेश जी का नाम लें और उत्तर, उत्तर-पूर्व दिशा में कलश की स्थापना करें।
- कलश स्थापना के लिए पहले ही एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं, फिर एक तांबे के कलश में पानी और गंगाजल डालें।
- कलश पर कलावा बांधें और आम के पत्तों के साथ उसे सजाएं। इसके बाद उसमें दूब, अक्षत और सुपारी डालें।
- कलश पर चुनरी और मौली बांध कर एक नारियल रख दें।
- पूजा सामग्री का उपयोग करते हुए विधि- विधान से मां दुर्गा का पूजन करें।
- मां को फल-फूल, मिठाई, अगरबत्ती, धूपबत्ती आदि भेंट कर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- अंत में मां दुर्गा की आरती करें और प्रसाद बांटें।