कब है शरद पूर्णिमा (sharad purnima 2024 date)
इधर, शरद पूर्णिमा को लेकर भी इस साल के अन्य व्रत त्योहारों की तरह तिथि भ्रम की स्थिति बन रही है कि इसे 16 या 17 अक्टूबर को कब मनाया जाए। इस संबंध में ज्योतिषाचार्य डॉ.हुकुमचंद जैन का कहना है कि 16 अक्टूबर बुधवार को पूर्णिमा तिथि रात्रि 08:40 बजे से प्रारंभ होकर 17 अक्टूबर शाम 04:55 बजे तक रहेगी।इसके बाद कार्तिक की प्रतिपदा शुरू हो जाएगी, जबकि इस दिन शरद पूर्णिमा व्रत और लक्ष्मीजी की पूजा करने वालों के लिए चंद्रमा की पूजा अनिवार्य है। शरद पूर्णिमा के निर्धारण के लिए इसका निशीथ व्यापिनी होना जरूरी है। ऐसी स्थिति में शरद पूर्णिमा व्रत 16 अक्टूबर बुधवार को ही किया जाना चाहिए। इस दिन चंद्रोदय शाम 5.02 बजे होगा। खास बात है इस दिन रेवती नक्षत्र, रवि और ध्रुव योग का विशेष संयोग भी बन रहा है।
खीर में होता है चमत्कार (sharad purnima par kheer ki parampara)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है और इस दिन अपनी धवल किरणों से अमृत की वर्षा करता है। इससे इसकी रोशनी में रखी गई खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं, जिससे इसका सेवन करने वाला व्यक्ति स्वस्थ और दीर्घायु रहता है।इसलिए इस रात्रि को गाय के दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की खुली रोशनी में मलमल के वस्त्र से ढंककर रखी जाती है। इस मीठी खीर में चंद्रमा की किरणों से औषधि गुण आ जाते हैं, फिर प्रात:काल इस खीर का प्रसाद के रूप में सेवन किया जाता है। शरद पूर्णिमा पर मंदिरों में खीर का भोग लगाने के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद की रूप में वितरित की जाती है।
शरद पूर्णिमा पर खुले में खीर रखने का समय (khule me kheer rakhane ka samay)
पंचांग के अनुसार 16 अक्टूबर को शाम 7:18 बजे से शरद पूर्णिमा पर रेवती नक्षत्र का समय हो रहा है, रेवती नक्षत्र का उदय शुभ माना जाता है। ऐसे में शरद पूर्णिमा की खीर खुले में शाम 7:18 बजे के बाद रखना चाहिए।इसका सबसे अच्छा समय शरद पूर्णिमा की रात जब चंद्रमा पूर्ण रूप से दिखाई देने लगे और उसकी किरणें आप तक पहुंचने लगें, तब है। लेकिन यह ध्यान रखें कि उसे ऐसे ढंककर रखें कि चंद्रमा की रोशनी खीर तक पहुंचे पर कोई विषैला या हानिकारक जीव उसमें न गिरे।