scriptSarva Pitru Amavsya: इस दिन सभी पूर्वजों का कर सकते हैं श्राद्ध, जानिए सही डेट और महत्व | sarvapitri amavasya timing shradh ke niyam shradh ka mahatva shradh paksha pind daan tarpan mein antar hindus pay homage to ancestors Sarva Pitru Amavsya | Patrika News
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Sarva Pitru Amavsya: इस दिन सभी पूर्वजों का कर सकते हैं श्राद्ध, जानिए सही डेट और महत्व

Sarva Pitru Amavsya: इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहा है, लोग पूर्वजों के निधन की तिथि के दिन श्राद्ध करते हैं। लेकिन कई लोगों को पूर्वजों के निधन की तिथि नहीं पता होती, ऐसे में वो पितृ पक्ष में किस दिन श्राद्ध करें जानिए, इस सवाल का जवाब.. सही डेट और महत्व..

Oct 10, 2023 / 01:24 pm

Pravin Pandey

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सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध

पहले तो यहां जानिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण में क्या अंतर है
धर्म ग्रंथों के अनुसार पितरों के लिए श्रद्धा से किया गया मुक्ति कर्म श्राद्ध कहा जाता है, वेदों में इसे पितृ यज्ञ कहा गया है। इसमें तर्पण और पिंडदान की क्रिया शामिल है। जिस कर्म से माता, पिता, आचार्य तृप्त हों वह कार्य तर्पण है, यानी तृप्त करने की क्रिया, देवताओं, ऋषियों या पितरों को कुशा के साथ जल में जौ, सफेद फूल, तंडुल, काले तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया तर्पण है तो तंडुल, गाय का दूध, गुड़, घी और शहद की खीर के गोले (पिंड) बनाकर पितरों को अर्पित करना पिंडदान करना है। बाद में इसे गाय को खिला देना चाहिए।

कैसे करते हैं पिंडदान
पिंड बनाने के बाद हाथ में कुशा, जौ, काला तिल, अक्षत और जल लेकर संकल्प करें। इसके बाद इस मंत्र को पढ़ें और अर्पण करें, ॐ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये।।
श्राद्ध करते वक्त कौन सी प्रार्थना करनी चाहिए
ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध करते समय ॐ अर्यमा न त्रिप्य्ताम इदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नमः…ॐ मृत्योर्मा अमृतं गमय प्रार्थना करना चाहिए। इसका अर्थ है कि (पितरों के देव) अर्यमा को प्रणाम, हे! पिता, पितामह, और प्रपितामह, हे! माता, मातामह और प्रमातामह आपको भी बारम्बार प्रणाम, आप हमें मृत्यु से अमृत की ओर ले चलें।…’हे अग्नि! हमारे श्रेष्ठ सनातन यज्ञ को संपन्न करने वाले पितरों ने जैसे देहांत होने पर श्रेष्ठ ऐश्वर्य वाले स्वर्ग को प्राप्त किया है वैसे ही यज्ञों में इन ऋचाओं का पाठ करते हुए और समस्त साधनों से यज्ञ करते हुए हम भी उसी ऐश्वर्यवान स्वर्ग को प्राप्त करें।
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क्या हैं श्राद्ध के नियम
1. श्राद्ध पक्ष में व्यसन और मांसाहार पूरी तरह वर्जित है।
2. पूर्णत: पवित्र रहकर ही श्राद्ध किया जाता है।
3. श्राद्ध पक्ष में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।

4. रात्रि में श्राद्ध ‍नहीं किया जाता, श्राद्ध का समय दोपहर साढे़ बारह बजे से एक बजे के बीच उपयुक्त माना जाता है।
5. कौओं, कुत्तों और गायों के लिए भी अन्न का अंश निकालते हैं क्योंकि ये सभी जीव यम के काफी नजदीकी हैं।
6. श्राद्ध कर्म के बाद ब्राह्मणों और सद्पुरुषों को भोजन कराना चाहिए।
श्राद्ध का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्राद्ध से श्रेष्ठ संतान, आयु, आरोग्य, अतुल ऐश्वर्य और इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति होती है। इससे पितृऋण चुकता होता है। इससे पितृगण ही तृप्त नहीं होते, बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, दोनों अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, अष्टवसु, वायु, विश्वेदेव, ऋषि, मनुष्य, पशु-पक्षी और सरीसृप आदि समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होते हैं। संतुष्ट होकर पितर मनुष्यों के लिए आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, वैभव, पशु, सुख, धन और धान्य देते हैं।
कब है सर्व पितृ अमावस्या
पंचांग के अनुसार अश्विन अमावस्या यानी सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर शनिवार को है। इस शनिश्चरी को ऐसे सभी पूर्वजों का श्राद्ध कर सकते हैं, जिनकी तिथि आपको पता नहीं है। इसीलिए इसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहते हैं।
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