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Rin Mochan Mangal Stotram: ऋण मोचन मंगल स्तोत्र के पाठ से खत्म होता है कर्ज, घर में आती है सुख समृद्धि

Rin Mochan Mangal Stotra: आज के जमाने में ज्यादातर लोग रोजमर्रा की जरूरतों से जूझते रहते हैं। तमाम जगहों पर देखने में आता है कि लोगों की आमदनी से ज्यादा खर्च है और उसकी पूर्ति ऋण से होती है। कई लोग ईएमआई पर होते हैं और कई बार ईएमआई मेंटेन करना मुश्किल होता है। कई बार इसके पीछे की वजह कुछ ग्रह भी होते हैं। ऐसे में हमारे ग्रंथों में ऋण से मुक्ति के हनुमानजी और मंगल ग्रह के उपाय बताए गए हैं। इन्हीं में से एक है मंगलवार को ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ। आइये जानते हैं ऋणमोचन मंगल स्तोत्र…

भोपालJun 18, 2024 / 04:53 pm

Pravin Pandey

rin mochan mangal stotra benefits

ऋण मोचन मंगल स्तोत्र

Rin Mochan Mangal Stotra: मंगलवार का दिन संकटमोचन हनुमान जी (Lord Hanuman) और मंगल ग्रह की पूजा का दिन है। मान्यता है कि इससे बजरंगबली हर कष्ट दूर करते हैं और मंगल दोष से मुक्ति मिलती है। वहीं, अगर आप ऋण और कर्ज से त्रस्त हैं और इसका कोई उपाय नहीं सूझ रहा है तो इसका उपाय है ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ।
अगर आप प्रतिदिन या हर मंगलवार को ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करते हैं तो आपको जल्द ही कर्ज से छुटकारा मिलेगा। हालांकि इसके लिए आप लाल आसन बिछाएं, और हनुमान जी की पूजा करें। इसके बाद ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें। लेकिन इसकी शुरुआत मंगलवार, भौम प्रदोष या सर्वार्थसिद्धि योग से करें। आइये पढ़ें-स्कंद पुराण में वर्णित ऋणमोचन मंगल स्तोत्र …

॥ ऋणमोचन मंगल स्तोत्र ॥


मंगलो भूमिपुत्रश्चऋणहर्ता धनप्रद:।
स्थिरासनो महाकाय:सर्वकामविरोधक:॥1॥

लोहितो लोहिताक्षश्चसामगानां कृपाकर:।
धरात्मज: कुजो भौमोभूतिदो भूमिनन्दन:॥2॥

अङ्गारको यमश्चैवसर्वरोगापहारक:।
वृष्टे: कर्ताऽपहर्ता चसर्वकामफलप्रद:॥3॥

एतानि कुजनामानिनित्यं य: श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्यधनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥4॥

धरणीगर्भसम्भूतंविद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं चमङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥5॥
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभि:।
न तेषां भौमजा पीडास्वल्पापि भवति क्वचित्॥6॥

अङ्गारक महाभागभगवन् भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय:॥7॥

ऋणरोगादिदारिद्रयंये चान्ये चापमृत्यव:।
भयक्लेशमनस्तापानश्यन्तु मम सर्वदा॥8॥

अतिवक्रदुराराभोगमुक्तजितात्मन:।
तुष्टो ददासि साम्राज्यंरुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥9॥

विरञ्चि शक्रविष्णूनांमनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्वेनग्रहराजो महाबल:॥10॥
पुत्रान्देहि धनं देहित्वामस्मि शरणं गत:।
ऋणदारिद्रयदु:खेनशत्रुणां च भयात्तत:॥11॥

एभिर्द्वादशभि: श्लोकैर्य:स्तौति च धरासुतम्।
महतीं श्रियमाप्नोतिह्यपरो धनदो युवा॥12॥

॥ इति श्रीस्कन्दपुराणे भार्गवप्रोक्तं
ऋणमोचन मंगल स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

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