किसने दिया वरदान
रावण को अमरता का वरदान भगावन ब्रह्मा से प्राप्त हुआ था। धार्मिक मान्यता है कि रावण ने एक बार ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की थी। जब ब्रह्मा जी ने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा तो वह रावण की तपस्या से बहुत प्रसन्न हुए। जिसके बाद उसे कई वरदान दिए। इनमें से एक वरदान था कि वह देवता, गंधर्व, यक्ष और दानवों से मारा नहीं जाएगा। हालांकि रावण ने मनुष्यों और वानरों का उल्लेख करना भूल गया, जो उसकी हार का कारण बना।
नाभि में अमृत का रहस्य
रावण की नाभि में अमृत का रहस्य उसके पिता विश्रवा और माता कैकसी के आशीर्वाद और तपस्या का परिणाम माना जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार रावण ने ब्रह्मा जी से यह वरदान मांगा था कि उसकी मृत्यु असंभव हो जाए। लेकिन ब्रह्मा जी ने उसे सीधे तौर पर अमरत्व का वरदान नहीं दिया। उसकी नाभि में अमृत स्थापित कर दिया। यह अमृत रावण की जीवन शक्ति का स्रोत बना। जब तक उसकी नाभि में अमृत था। रावण को मारना संभव नहीं था। जैसा कि रामायण में वर्णित है कि भगवान श्रीराम को रावण को मारने के लिए विभीषण की मदद लेनी पड़ी थी। मृत्यु का नाभि से अमृत के समाप्त होते ही रावण की मृत्यु हो गई।
अहंकार और अधर्म बना मृत्यु का कारण
रावण का अमरत्व और नाभि में अमृत उसकी शक्ति का प्रतीक था। रावण ज्ञानी, तपस्वी और बलशाली होने के साथ-साथ अहंकारी भी था। उसका अहंकार और अधर्म ही उसकी मृत्यु का कारण बना। इसलिए किसी भी वरदान या शक्ति का सही उपयोग करना अनिवार्य है।