रंभा को देखकर रावण के मन जगी वासना (Ravana aroused lust after seeing Rambha)
वाल्मिकी रामायण के अनुसार लंका के राजा और कुबेर के सौतेले भाई रावण ने रंभा को एक पहाड़ पर देखा और उसकी सुंदरता पर मोहित हो गया। वह अपनी वासना को पूरा करने के लिए उसके पास चला गया। रंभा ने खुद को उसकी बहू बताकर इसका विरोध किया। लेकिन वासना में इतना लिप्त हो गया कि उसने यह कहकर रंभा का मज़ाक उड़ाया कि अप्सरा किसी की नहीं होती। जब उसने रावण की मनइच्छा पूरी नहीं होने दी तो रावण ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया।
नलकुबेर का श्राप (Nalkuber ka Shrap)
इस घटना से क्रोधित होकर रंभा ने अपने पति नलकुबेर को सारी घटना बताई। नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया कि यदि वह किसी स्त्री की इच्छा के विरुद्ध उसे छूने का प्रयास करेगा। तो उसकी मृत्यु निश्चित होगी।
बलपूर्वक स्त्री को छेड़ने पर रावण की दुर्गति (Ravanas plight for molesting a woman by force)
धार्मिक मान्यता है कि यह श्राप लंकापति रावण के जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। सीता हरण के बाद जब रावण ने सीता को अपनी पत्नी बनाने की कोशिश की। तो यह श्राप उसे रोकने में प्रभावी रहा। क्योंकि नलकुबेर ने श्राप देते वक्त कहा थी कि जब भी रावण किसी कामवश किसी स्त्री को छेडे़गा तो उसकी दुर्गति होगी। यही कारण था कि रावण ने सीता को बलपूर्वक छूने या उन्हें अपनी इच्छा से वश में करने की कोशिश नहीं की। डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।