अगर कोई इस व्रत को दिन वार के अनुसार करता है तो उसे अत्यधिक शुभ फल प्राप्त होते हैं । वार मतलब जिस वार को प्रदोष व्रत पड़ता है उसी के अनुसार पूजा करते करते हुए उस दिन की कथा पढ़नी चाहिए । इससे शुभ फलों में अधिक वृद्धि होने लगती है एवं अलग-अलग कामनाओं की पूर्त्ति के लिए वारों के अनुसार प्रदोष व्रत करने से लाभ मिलता है । प्रदोष काल में की गई पूजा एवं व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला माना गया है । प्रदोष काल व्रत हर माह के शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन या त्रयोदशी तिथि में रखा जाता है ।
इस मंत्र का जप करें
प्रदोष व्रत अन्य दूसरे व्रतों से अधिक शुभ एवं महत्वपूर्ण माना गया है, इस दिन भगवान शिव की पूजा घर या शिवालय में करने से सभी पापों का नाश होता है एवं मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है । 24 अगस्त शुक्रवार के दिन सावन मास का अतिम प्रदोष है इस दिन इस शिव मंत्र का जप अवश्य करें ।
।। ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ।।
इस मंत्र को रूद्राक्ष की माला से प्रदोष वाले दिन किसी भी शिव मंदिर में जाकर 1000 बार जपने से सभी शत्रुओं से मुक्ति तो मिलती ही साथ ही मनोवांक्षित फल की प्राप्ति भी होती हैं ।
प्रदोष व्रत अलग-अलग वार पड़ने और उस दिन व्रत पूजा करने के लाभ ।
1- रविवार के दिन व्रत रखने से अच्छी सेहत एवं उम्र लम्बी होती है ।
2- सोमवार के दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाऐं पूर्ण होती है ।
3- मंगलवार के दिन व्रत रखने से बीमारीयों से राहत मिलती है ।
4- बुधवार के दिन प्रदोष व्रत रखने से सभी मनोकामनाऐं एवं इच्छाऐं पूर्ण होती है ।
5- गुरूवार को व्रत रखने से दुश्मनों का नाश होता है ।
6- शुक्रवार को व्रत रखने से वैवाहिक जिंदगी एवं भाग्य अच्छा होता हैं ।
7- शनिवार को व्रत रखने से संतान प्राप्त होती है ।
शास्त्रों के अनुसार प्रदोष पूजा का सही समय सभी शिव मन्दिरों में शाम के समय प्रदोषम मंत्र का जप किया जाता है ।