पौष माह की शुरुआत
पौष मास आमतौर पर दिसंबर से जनवरी के बीच पड़ता है। विक्रम संवत 2081 के अनुसार इस वर्ष पौष माह की शुरुआत 16 दिसंबर 2024 से होगी और इसका समापन 14 जनवरी 2025 को होगा।
पौष माह का धार्मिक महत्व
सूर्य पूजा का महीना- पौष मास में सूर्य देव की पूजा का विषेश महत्व है। इस महीने में सूर्य की उपासना से जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है। दान-पुण्य का महत्व- इस महीने में अन्न, वस्त्र और घी का दान करने से अत्यंत लाभकारी फल की प्राप्ति होती है। इसे पुण्य संचय का महीना भी कहा जाता है। संकष्टी चतुर्थी- पौष माह में आने वाली संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से संकटों से मुक्ति मिलती है।
अमावस्या और पूर्णिमा व्रत- धार्मिक मान्यता है कि पौष अमावस्या और पौष पूर्णिमा व्रत करने से पितरों को शांति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। मकर संक्रांति का पर्व- पौष मास के अंत में 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। इस दिन गंगा स्नान, तिल-गुड़ के लड्डू और पतंग उड़ाने की परंपरा होती है।
पौष महीने करें ये शुभ काम
सूर्य अर्घ्य देना- प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद सूर्य को जल अर्पित करें। तुलसी पूजन- तुलसी के पौधे को भी जल चढ़ाए कर पूजा करें और दीपक जलाएं। गायत्री मंत्र जप- इस पवित्र मास में नियमित गायत्री मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है। भगवान विष्णु और शिव पूजन- यह महीना भगवान विष्णु और शिव को समर्पित माना जाता है। इसलिए विष्णु सहस्त्रनाम और शिव चालीसा का पाठ बेहद लाभकारी होता है।