पापमोचिनी एकादशी व्रत पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व
पापमोचनी एकादशी पर ऐसे करें पूजन
पापमोचनी एकादशी के दिन व्रती सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निविवृत्त होकर भगवान श्री विष्णु का विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। पापमोचनी एकादशी के दिन फलाहारी व्रत करने से अनेक रोगों से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन सुबह, दोपहर एवं शाम को तीनों समय विधिवत भगवान श्री विष्णु की पूजा करना चाहिए। इस दिन की पूजा में ताजे तुलसी के पत्तों का प्रयोग करना चाहिए।
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पापमोचनी एकादशी व्रत के नियम
पापमोचनी एकादशी के दिन कांसे के बर्तन में भूलकर भी भोजन नहीं करना चाहिए। मांस मदिरा, मसूर की दाल, चने व कद्दू की सब्जी एवं शहद का सेवन भी नहीं करना चाहिए। भूमि शयन करते हुए कामवासना का त्याग करना चाहिए। इस दिन किसी भी प्रकार के गलत काम नहीं करना चाहिए। इस दिन पान भी नहीं खाना चाहिए। किसी की झूठ, बुराई, चुगली क्रोध आदि नहीं करना चाहिए। इस दिन नमक, शक्कर, तेल और अन्न का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
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जाने-अंजाने हुए पापों से मिलती है मुक्ति
पापमोचनी एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु का पंचामृत से स्नान (पंचामृत का अर्थ है ‘पांच अमृत’- दूध, दही, घी, शहद, शकर को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है।) कराने ने मनुष्य के द्वारा जाने-अंजाने में हुए पाप कर्मों के दुष्फल से मुक्ति मिलती है।
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