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क्या है पंचक! Panchak Vichar 2023 Date
ज्योतिष शास्त्र में पंचक पांच दिन की वह अवधि मानी गई है, जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करता है। इसके बाद जब चंद्रमा शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र के चार पदों पर गोचर करता है, यही पंचक कहलाता है। सरल भाषा में कहें तो जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में गोचर करता है, तो इसे पंचक कहा जाता है। आज सोमवार 20 फरवरी से शुरु हुई पंचक अवधि 25 फरवरी को संपन्न होगी।
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पंचक की इस अवधि को माना गया है बेहद अशुभ Panchak Vichar 2023
ज्योतिष शास्त्र में पंचक की इस अवधि को बहुत ही अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पंचक काल में यदि किसी की मृत्यु हो ताही है, तो उसके बाद घर-परिवार के सदस्यों या फिर उस क्षेत्र के लोगों पर मृत्यु का संकट मंडराने लगता है। इसलिए पंचक को बहुत ही अशुभ माना गया है। हालांकि सारे पंचक अशुभ हो ऐसा भी नहीं है। इस बार राज पंचक की शुरुआत सोमवार से हुई है, तो इस पंचक को उन सभी कार्यों के लिए शुभ माना जाता है जो दैनिक जीवन में किए जा सकते हैं। वहीं रोग पंचक, मृत्यु पंचक और चोर पंचक लोगों की मुश्किलें बढ़ाने वाले होते हैं। इन पांच दिनों की अवधि में कुछ विशेष कार्य भूलकर भी नहीं करने चाहिएं।
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शादी-विवाह Panchak Vichar 2023
पंचक का अशुभ काल शुरू होने के बाद विवाह, मुंडन और नामकरण संस्कार आदि मांगलिक कार्यक्रम निषेध माने गए हैं। पंचक में ऐसे कार्यों को टालना ही श्रेष्ठ माना गया है।
उधार से बचें Panchak Vichar 2023
पंचक काल की इस अवधि में व्यापार के लिए कभी पैसे उधार नहीं लेने चाहिएं। लेकिन यदि ऐसा करना जरूरी हो तो, कार्य की शुरुआत से पहले मां लक्ष्मी की पूजा करना जरूरी माना गया है। इसके बाद ही कार्य शुरू करें।
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दक्षिण दिशा में यात्रा न करें Panchak Vichar 2023
पंचक काल की इस अवधि में लोगों को दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। अगर किसी व्यक्ति को दक्षिण दिशा में शनिवार के दिन यात्रा करनी हो तो, पहले संकटमोचन हनुमान जी की पूजा कर लें। इस पूजा के बाद ही अपनी यात्रा शुरू करें।
लकड़ी से जुड़े कार्य Panchak Vichar 2023
पंचक की इस अवधि में लकड़ी से जुड़े कार्य कभी भी नहीं करने चाहिएं। माना जाता है कि ऐसा करने से आपके घर पर संकट की आशंका बढ़ती है।
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इस दौरान अंतिम संस्कार विधि Panchak Vichar 2023
यदि पंचक में किसी इंसान की मृत्यु हो जाती है, तो परिवार के सदस्यों की रक्षा के लिए दाह संस्कार के समय आटे, बेसन और कुश (घास) से तैयार 5 पुतलों का मृतक के साथ ही अंतिम संस्कार करने का नियम है। माना जाता है कि ऐसा करने से परिवार के अन्य सदस्यों के सिर से मृत्यु का खतरा टल जाता है।