कुल इतने प्रकार के होते हैं कालसर्प दोष, जानें किसका किस पर क्या पड़ता है प्रभाव
इस नवग्रह मंत्र का हर रोज 108 बार लगातार 40 दिनों तक करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है और जपकर्ता की सभी कामनाएं पूरी कर देता है।
नवग्रह मंत्र
ऊँ ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु।।
अगर आपको भी घर के बाहर कदम रखते ही मिले ये संकेत तो…
नवरग्रह मंत्र का जप का विधि-विधान
स्नान आदि से निवृत्त होकर सफेद आसन पर बैठकर, आसन के नीचे कुछ सिक्के रखकर उसके ऊपर सुखासन (पालथी) मारकर बैठ जाएं। अब उक्त नवग्रह मंत्र जप करते हुए मन ही मन भाव करें कि-
1- ग्रहों में प्रथम विश्व की रक्षा करने वाले भगवान सूर्य मेरी पीड़ा का हरण करें।
2- अमृतमय स्वरूप वाले, अमतरूपी शरीर वाले तथा अमृत का पान कराने वाले चंद्रदेव मेरी पीड़ा को दूर करें।
3- जगत् को भय प्रदान करने वाले, वृष्टि करने वाले तथा वृष्टि का हरण करने वाले मंगल मेरी पीड़ा का हरण करें।
4- महान द्युति से संपन्न, चन्द्रमा के पुत्र बुध मेरी पीड़ा का निवारण करें।
शनिवार को अपनी राशि के अनुसार ऐसे करें हनुमान जी की पूजा, हर इच्छा हो जाएगी पूरी
5- सर्वदा लोक कल्याण में निरत रहने वाले, देवताओं के गुरू बृहस्पति मेरी पीड़ा को दूर करें।
6- दैत्यों के गुरू महान् बुद्धि संपन्न शुक्र मेरी पीड़ा को दूर करें।
7- सूर्य विशाल नेत्रों वाले, भगवान् शिव के प्रिय प्रसन्नात्मा शनि देव मेरी पीड़ा को दूर करें।
8- विविध रूप तथा वर्ण वाले, हजारों आंखों वाले, तमोमय राहु मेरी पीड़ा का हरण करें।
9- नाड़ी से संपन्न, विशाल मुख और बिना शरीर वाले केतु मेरी पीड़ा का हरण करें।
**************