यज्ञ से पहले जब माता सती ने आकाश मार्ग से सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों को उस ओर जाते देखा तो अपने पति से इसका कारण पूछा। भगवान शिव ने माता सती को सब बातें बताईं और यह भी बताया कि उनको निमंत्रण नहीं मिला । इस पर माता सती ने भगवान शिव से कहा कि एक पुत्री को अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए निमंत्रण की आवश्यकता नहीं होती है।
माता सती अकेले ही यज्ञ में जाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने शिवजी से अनुमति मांगी लेकिन उन्होंने मना कर दिया। माता सती बार-बार आग्रह करती रहीं पर शिवजी भी नहीं मान रहे थे तो माता सती को क्रोध आ गया और उन्होंने शिव को अपनी महत्ता दिखाने का निर्णय लिया।
मां काली महाविद्या का स्वरूप
मां काली सती की पहली महाविद्या हैं। इनका रूप भीषण था और सभी गुणों में उच्च था, इसलिए इसे प्रथम महाविद्या कहा जाता है। यह स्वरूप दुष्टों का संहार करने वाली थी। इनका वर्ण एकदम काला था और केश खुले हुए थे। इनकी भगवान शिव की भांति तीन आंखें थीं। मां काली के चार हाथ थे जिसमें से एक हाथ में कटा हुआ राक्षस का सिर, दूसरे में खड्ग (मुड़ी हुई तलवार), तीसरा हाथ वरदान मुद्रा में और चौथा हाथ अभय मुद्रा में था। साथ ही गले में राक्षसों के कटे हुए सिर की माला बंधी हुई थी। इतना ही नहीं, उन्होंने राक्षसों के नरमुंडों की एक माला अपनी पीठ पर कमरबंध के रूप में बांध रखी थी। उनकी जीभ अत्यधिक लंबी और लाल थी जिसमें से रक्त टपक रहा था।यह स्वरूप भगवान शिव के समान ही है, ये भी भगवान शिव के समान जल्दी प्रसन्न और क्रोधित हो जाती है। भगवान शिव के क्रोधित अवतार को रूद्र अवतार कहा जाता है और मां काली भी क्रुद्ध अवतार हैं। मां काली का स्वभाव अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न होने वाला और दुष्टों पर जल्दी क्रोधित होने वाला है।
- काली महाविद्या को समय और परिवर्तन की देवी माना जाता है, मान्यता है कि ये समय से परे हैं। उनकी तीन आंखें भूतकाल, भविष्यकाल और वर्तमानकाल को दिखाती हैं। ब्रह्मांड में समय हमेशा गतिमान है, जिसका प्रतिनिधित्व मां का यह रूप करता है।
- मां का यह भीषण रूप दुष्टों, पापियों और अधर्मियों को अत्यधिक डराने वाला है। इस रूप से मां का तात्पर्य यह है कि जब अधर्म बहुत बढ़ जाएगा तो मां चंडी का रूप धारण कर उनका वध करने में सक्षम होंगी।
- मां का यह रूप अपने भक्तों को अभय प्रदान करता है। मां का एक हाथ अभय मुद्रा में है, वह अपने भक्तों के मन से भय को भगाने और आत्म-विश्वास को बढ़ाने का परिसूचक है।
- मां का एक हाथ आशीर्वाद मुद्रा में है। इससे वह भक्तों के मन में यह आशा प्रकट करती है कि उनका यह भीषण रूप केवल दुष्टों के लिए ऐसा है जबकि भक्तों के ऊपर उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा।
महाविद्या काली मंत्र (Kali Mahavidya Mantra)
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिका।क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥
कितना जानते हैं मां काली के बारे में
मां काली का दिन: सोमवारमां काली की दिशा: पूर्व
मां काली की पूजा की विशेष तिथि: अमावस्या
मां काली का समय: रात्रि
मां काली से संबंधित रुद्रावतार: महाकालेश्वर
मां काली का मुख्य मंदिर: कलकत्ता, पश्चिम बंगाल
मां काली से संबंधित अन्य मंदिर: उज्जैन और गुजरात