पंचांग की गणना के अनुसार देखें तो नक्षत्र का अपना विशेष प्रभाव होता है, जब किसी विशेष नक्षत्र में कोई विशेष त्यौहार आता है, तो उसका फल भी उतना ही प्राप्त होता है। क्योंकि इस बार महाशिवरात्रि पर श्रवण नक्षत्र है और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र की भी स्थिति मध्य रात्रि में रहेगी। यह पंचक का नक्षत्र है, ऐसी मान्यता है कि पूर्वाभाद्र से लेकर के रेवती नक्षत्र के मध्य यदि कोई विशेष त्यौहार आता है तो ऐसी स्थिति में त्यौहार का अधिष्ठात्र देवता की विशेष आराधना 5 गुना शुभ फल प्रदान करती है। इस दृष्टि को वैदिक रूप से मान्यता मिलती है, इस कारण इस दौरान विशेष पूजन करनी चाहिए जिसका फल 5 गुणा प्राप्त हो सके। इस कारण 8 मार्च की महाशिवरात्रि बेहद खास हो गई है।
मेष: रक्त चंदन का त्रिपुंड लगाएं, लाल कनेर का पुष्प चढ़ाकर शिवाष्टक का पाठ करें।
वृषभ: सफेद चंदन का त्रिपुंड लगाकर सफेद सुगंधित पुष्प चढ़ाएं, रुद्राष्टक का पाठ करें।
कर्क: सफेद चंदन का त्रिपुण्ड लगाएं, शिव सहस्त्र नामावली पाठ करें। ये भी पढ़ेंः Singh Rashi: सूर्य देव की कृपा होने पर भी नहीं टिकता पैसा, जानिए कैसा होता है सिंह राशि वालों का स्वभाव
कन्या: अबीर का त्रिपुण्ड लगाएं और शिव चालीसा का पाठ करें। तुला: सफेद चंदन का त्रिपुंण्ड लगाएं, सुगंधित सफेद पुष्प चढ़ाएं, अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ करें।
वृश्चिक: लाल चंदन का त्रिपुंण्ड लगाएं, लाल कनेर के सात पुष्प चढ़ाएं, शिवाष्टक का पाठ करें।
मकर और कुंभ राशि वालों के लिएः भस्म का त्रिपुंड लगाएं, अपराजिता के फूल चढ़ाएं, महामृत्युंजय कवच का पाठ करें।
मीन: पीले चंदन का त्रिपुंड लगाएं, पीले पुष्प चढ़ाएं, 12 अमोघ शिव कवच का पाठ करें।