scriptसभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं ‘त्रिपुरेश’ की अर्धांगिनी माँ त्रिपुर सुंदरी | maa tripur sundari | Patrika News
धर्म-कर्म

सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं ‘त्रिपुरेश’ की अर्धांगिनी माँ त्रिपुर सुंदरी

सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं ‘त्रिपुरेश’ की अर्धांगिनी माँ त्रिपुर सुंदरी

May 23, 2018 / 02:48 pm

Shyam

 tripur sundari

सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं ‘त्रिपुरेश’ की अर्धांगिनी त्रिपुर सुंदरी माँ हैं

भारत के सबसे छोटे प्रदेश त्रिपुरा में- त्रिपुर सुन्दरी शक्तिपीठ हिन्दू धर्म के पावन 51 सिद्ध शक्तिपीठों में से एक अत्यंत पवित्र तीर्थस्थान हैं । जगदंबे मां भगवति अनेक रूपों में सर्व व्याप्त है । समस्त जड संसार देवी के प्रभाव से सजीव एवं चलायमान है । शक्ति के अभाव में तो शिव भी शव के समान ही है । देवी के रूपों में से एक जगत प्रसिद्ध देवी राज राजेस्वरी माँ त्रिपुर सुन्दरी हैं । दस महाविद्याओं में माँ त्रिपुर सुन्दरी तीसरे नम्बर की देवी है, तीनों लोकों में सर्वाधिक सुंदर व सभी कर्मो में शीघ्र फल देने वाली है कहलाती हैं माँ त्रिपुर सुंदरी । सोलह कलाओं से युक्त माँ सोलह वर्ष की कन्या के समान, हजारों सूर्य का तेज समाहित किये हुये है ।


यहाँ की शक्ति ‘त्रिपुर सुंदरी’ तथा शिव ‘त्रिपुरेश’ हैं ।
माँ त्रिपुर सुंदरी का मंदिर त्रिपुरा के उदयपुर में स्थित है, और यहां भगवान शिव को त्रिपुरेश के रूप में पूजा जाता हैं, और माता को त्रिपुरेश की अर्धांगिनी के रूप में पूजा जाता हैं, कहते हैं कि यहां आकर जो कोई भी सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं, माँ त्रिपुर सुंदरी उनकी सभी मनोकामनाओं का फल देती हैं । क्या है माँ त्रिपुर सुंदरी की पौराणिक कथा और क्या है उनकी महिमा-

 

माँ त्रिपुर सुंदरी देवी की कहानी भगवान शिव और उनकी पत्नी माता सती से जुड़ी हुई है, राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री सती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी, लेकिन दक्ष को मंजूर नहीं था, फिर भी सती ने भगवान शिव से ही विवाह कर लिया ।

 

 tripur sundari

एक बार राजा दक्ष ने यज्ञ करवाया, उस यज्ञ में ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन जान-बूझकर अपने दामाद भगवान शंकर को नहीं बुलाया, माता सती ने इसे भगवान शिव का अपमान माना औहर बहुत दुखी हुई । यज्ञ-स्थल पर पहुंची माता सती ने अपने पिता दक्ष से शिव को आमंत्रित न करने का कारण पूछा, इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को अपशब्द कहे, इस अपमान से दुखी होकर सती ने यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी प्राणाहुति दे दी, भगवान शंकर को जब इस दुर्घटना का पता चला, तो क्रोध से उनका तीसरा नेत्र खुल गया ।

 

क्रोधित और आहत भगवान शिव ने यज्ञ कुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कर कंधे पर उठा लिया और गुस्से में तांडव करते हुए वहां से चल दिए- भगवान शिव के क्रोध से ब्रह्मांड को बचाने के लिए भगवान श्री विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती की पार्थिव शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया । पृथ्वी पर जहां भी माता सती के अंग गिरे, वहां माता की सिद्ध शक्तिपीठों का निर्माण हुआ ।

 

माँ त्रिपुर सुंदरी का यह शक्तिपीठ भी उन्हीं 51 में से एक माना जाता हैं, इस स्थान माता सती के पार्थिव शरीर की योनि का भाग गिरी था, यही कारण है कि प्राचीनतम तस्वीरों में माँ को यौनावस्था में दर्शाया गया है । इस स्थान पर सती की योनि गिरने के पश्चात ही इस स्थान को अन्य शक्तिपीठों में गिना गया ।

 tripur sundari

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं ‘त्रिपुरेश’ की अर्धांगिनी माँ त्रिपुर सुंदरी

ट्रेंडिंग वीडियो