कुंभ में अखाड़ों का विशेष महत्व होता हैं, पहले इनकी संख्या कम थी लेकिन अब वर्तमान में कुल 13 अखाड़ें हैं । अखाड़े शब्द की शुरुआत मुगलकाल के दौर से हुई, अखाड़ा साधुओं का वह दल होता है, जो शस्त्र विद्या में भी पारंगत रहता हैं और इनके संतों के दर्शन भी सरलता से नहीं हो पाते है, लेकिन इनके दर्शन जिसे हो जाये, जिस पर इनकी दष्टि पड़ जाये तो उनके जीवन का दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाता हैं ।
कुल तीन संप्रदाय हैं और इन तीनों में कुल मिलाकर 13 अखाड़ें हैं ।
1- शैव संप्रदाय
2- वैष्णव संप्रदाय
3- उदासीन संप्रदाय
शैव संप्रदाय में कुल 7 अखाड़ें शामिल हैं-
1- श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी- दारागंज प्रयाग (उत्तर प्रदेश)
2- श्री पंच अटल अखाड़ा- चैक हनुमान, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
3- श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी- दारागंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश)
4- श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती- त्रंब्यकेश्वर, नासिक (महाराष्ट्र)
5- श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा- बाबा हनुमान घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
6- श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा- दशाश्वमेघ घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
7- श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा- गिरीनगर, भवनाथ, जूनागढ़ (गुजरात)
बैरागी वैष्णव संप्रदाय में कुल 3 अखाड़े शामिल हैं-
1- श्री दिगम्बर अनी अखाड़ा- शामलाजी खाकचौक मंदिर, सांभर कांथा (गुजरात)
2- श्री निर्वानी आनी अखाड़ा- हनुमान गादी, अयोध्या (उत्तर प्रदेश)
3- श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा- धीर समीर मंदिर बंसीवट, वृंदावन, मथुरा (उत्तर प्रदेश)
उदासीन संप्रदाय में भी कुल 3 अखाड़े शामिल हैं-
1- श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा- कृष्णनगर, कीटगंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश)
2- श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन- कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड)
3- श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा- कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड)
उपरोक्त 13 अखाड़ों के अलावा भी सिख, वैष्णव और शैव साधु-संतों के अखाड़े हैं जो कुंभ स्नान में शामिल होते हैं । लेकिन मान्यता केवल तेरह अखाड़ों की ही प्राप्त हैं ।