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धर्म-कर्म

इन नदियों में क्यों नहीं किया जाता स्नान, वजह कर देगी हैरान

इनमें गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, सरस्वती, नर्मदा, सतलुज जैसी नदियां हमारे जेहन में हमेशा रहती हैं। इनके नाम याद करने की जरूरत नहीं पड़ती। कहते हैं कि इन नदियों में स्नान करने भर से ही व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं। पर क्या आपने कभी सुना है कि इन नदियों में कभी भी धार्मिक महत्व के स्नान नहीं किए जाते…

Dec 28, 2022 / 05:00 pm

Sanjana Kumar

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भोपाल। भारत में नदियों का न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व भी रहा है। प्राचीन काल से ही हम देखते-सुनते आए हैं कि नदियां मां की तरह हमारा पालन-पोषण करती रही हैं। नदियों के कारण ही सभ्यताएं पनपी और गांव बसते गए। इतिहास गवाह है कि सबसे ज्यादा शहर और गांव नदियों के किनारे ही बसे। हमारे देश में छोटी-बड़ी 200 से ज्यादा नदियां बहती हैं। इनमें गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, सरस्वती, नर्मदा, सतलुज जैसी नदियां हमारे जेहन में हमेशा रहती हैं। इनके नाम याद करने की जरूरत नहीं पड़ती। कहते हैं कि इन नदियों में स्नान करने भर से ही व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं। पर क्या आपने कभी सुना है कि इन नदियों में कभी भी धार्मिक महत्व के स्नान नहीं किए जाते। अगर नहीं तो आज इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं उन नदियों के बारे में जिनके बारे में अब धारणा बनने लगी है कि ये नदियां जीवन का उद्धार नहीं बल्कि जीवन को बर्बाद करती हैं।

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कर्मनाशा नदी
बिहार और उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक है कर्मनाशा नदी। इन दोनों राज्यों के लोगों का मानना है कि जो इस नदी के पानी को छूता है, उसके बनते काम भी बिगड़ जाते हैं। वहीं कुछ लोग कहते हैं कि इस नदी का पानी ही शापित है, इसलिए लोग इसके पानी में नहाना तो दूर, इसे छूने से भी बचते हैं।

फल्गु नदी
बिहार के गया जिले में बहने वाली फल्गु नदी के बारे में कहा जाता है। गया में हर साल लाखों लोग पिंडदान और श्राद्ध करने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन इस नदी के पास कोई नहीं आता। यहां के लोग इस नदी को देवी नहीं, मानते हैं। लोगों के बीच धरणा है कि इस नदी को माता सीता ने शाप दिया था, तब से लोग इस नदी पर जाने से बचते हैं ।

कोसी नदी
कोसी को बिहार का शोक तक कहा जाता है। नेपाल से हिमालय में निकलने वाली यह नदी बिहार के सुपौल, पूर्णिया, कटिहार से बहती हुई राजमहल के पास गंगा में मिल जाती है। कहते हैं जब भी इस नदी में बाढ़ आती है, कई लोगों की जान ले जाती है। इस नदी में भी धार्मिक महत्व के स्नान नहीं किए जाते।

 

चंबल नदी
चंबल मध्यप्रदेश की प्रमुख नदी है। इस नदी में धार्मिक महत्व के स्नान नहीं किए जाते। एक कहानी के मुताबिक, राजा रतिदेव ने हजारों जानवरों को मार डाला था और खून को इस नदी में बहने दिया था। इस घटना के बाद से इस नदी को अपवित्र नदी मान लिया गया।

https://youtu.be/LSsOklUrbt4

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