ऐसे में जहां कुछ जानकारों का मानना है कि सावन 24 जुलाई से ही शुरु हो गया है। वहीं कुछ जानकारों के अनुसार इस बार सावन 25 जुलाई से शुरु होगा। जबकि सावन माह का समापन श्रावणी पूर्णिमा के दिन यानि 22 अगस्त को होगा।
सावन को भगवान शिव का अति प्रिय माह माना जाता है। एक ओर जहां भगवान शिव अत्यंत भोले माने जाते हैं, वहीं उनका क्रोध भी अत्यंत उग्र माना जाता है। ऐसे में जहां वे भक्तों से बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं, वहीं जानकारों के अनुसार इस समय ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे वे नाराज हो जाएं।
इन सब बातों को देखते हुए आज हम आपको उन चीजों के बारे में बता रहे हैं, जिनके संबंध में ये मान्यता है कि ये भगवान शंकर को बेहद प्रिय हैं तो वहीं उन स्थितियों के बारे में भी बता रहे हैं जो भगवान शिव की पूजा में वर्जित मानी जातीं हैं।
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शिवभक्त व पंडित आरके जोशी के अनुसार भगवान शिव जहां सावन में आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं, वहीं आपकी एक छोटी सी अनजाने में की गई गलती उनको नाराज कर सकती है। ऐसे में हर शिवभक्त को इससे सतर्क रहना चाहिए…
इन बातों का रखें खास ख्याल…
पं. जोशी के अनुसार शिव पूजा में बहुत सी ऐसी चीजें अर्पित की जाती हैं जो अन्य किसी देवता को नहीं चढ़ाई जाती, जैसे- आक, बिल्वपत्र, भांग आदि। इसी तरह शिव पूजा में कई ऐसी चीजें होती हैं जो आपकी पूजा का फल देने की बजाय आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं…
1. शिव पूजा में वर्जित है शंख: शंख भगवान विष्णु को बहुत ही प्रिय हैं लेकिन शिव जी ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना गया है।
2. फूल: शिव को कनेर और कमल के अलावा लाल रंग के अन्य कोई फूल प्रिय नहीं हैं। शिव को केतकी और केवड़े के फूल चढ़ाने का निषेध माना गया है।
3. कुमकुम या रोली: शास्त्रों के अनुसार शिव जी को कुमकुम और रोली नहीं लगाई जाती है।
4. हल्दी: धार्मिक कार्यों में भी हल्दी का महत्वपूर्ण स्थान माना गया है। लेकिन शिवजी की पूजा में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। हल्दी उपयोग मुख्य रूप से सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसी वजह से महादेव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती।
5. नारियल पानी: नारियल पानी से भगवान शिव का अभिषेक नहीं करना चाहिए क्योंकि नारियल को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है इसलिए सभी शुभ कार्य में नारियल का प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है। लेकिन शिव पर अर्पित होने के बाद नारियल पानी ग्रहण योग्य नहीं रह जाता है।
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6. तुलसी दल: तुलसी का पत्ता भी भगवान शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए। इस संदर्भ में असुर राज जलंधर की कथा है जिसकी पत्नी वृंदा तुलसी का पौधा बन गई थी। शिव जी ने जलंधर का वध किया था इसलिए वृंदा ने भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग न करने की बात कही थी।
शिव अभिषेक: बेहद प्रिय हैं ये भगवान शिव को…
पं जोशी के अनुसार भगवान शिव की विश्वास व श्रद्धा से की गई आराधना भोले बाबा को खुश करने के लिए काफी है। माना जाता है कि इनकी पूजा में शिव अभिषेक और उस पर अर्पित की जाने वाली चीजें अलग-अलग महत्व रखती हैं।
1. जल मंत्रों का उच्चारण करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाने से हमारा स्वभाव शांत और स्नेहमय होता है।
2. शिवलिंग पर केसर अर्पित करने से हमें सौम्यता मिलती है।
3. महादेव का चीनी (शक्कर) से अभिषेक करने से सुख और समृद्धि बढ़ती है। ऐसा करने से मनुष्य के जीवन से दरिद्रता चली जाती है।
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4. इत्र शिवलिंग पर इत्र लगाने से विचार पवित्र और शुद्ध होते हैं। इससे हम जीवन में गलत कामों के रास्ते पर जाने से बचते हैं।
5. शिव-शंकर को दूध अर्पित करने से स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है और बीमारियां दूर होती हैं।
6. महादेव को दही चढ़ाने से स्वभाव गंभीर होता है और जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होने लगती हैं।
7. भगवान शंकर पर घी अर्पित करने से हमारी शक्ति बढ़ती है।
8. शिवजी को चंदन चढ़ाने से हमारा व्यक्तित्व आकर्षक होता है। इससे हमें समाज में मान-सम्मान और यश मिलता है।
9. भोलेनाथ को शहद चढ़ाने से हमारी वाणी में मिठास आती है।
10. औघड़-अविनाशी शिव को भांग चढ़ाने से हमारी कमियां और बुराइयां दूर होती हैं।
पूजन के दौरान भगवान शिव पर चढ़ने वाली चीजें…
जानकारों के अनुसार शिव पूजन के दौरान जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, ईत्र, चंदन, केसर, भांग, इन सभी चीजों को एक साथ मिलाकर या एक-एक चीज शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं। शिवपुराण में बताया गया है कि इन चीजों से शिवलिंग को स्नान कराने पर सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
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शिव पूजन की सामान्य विधि…
शिवपुराण के अनुसार सप्ताह के हर दिन भगवान शिव की पूजा अलग फल प्रदान करती है। ऐसे में आप जिस दिन भी शिव पूजन करना चाहते हैं, उस दिन सुबह स्नान आदि नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं। इसके बाद घर के मंदिर में ही या किसी शिव मंदिर जाएं। मंदिर पहुंचकर भगवान शिव के साथ माता पार्वती और नंदी को गंगाजल या पवित्र जल अर्पित करें। जल अर्पित करने के बाद शिवलिंग पर चंदन, चावल, बिल्वपत्र, आंकड़े के फूल और धतूरा चढ़ाएं।
पूजन में इस मंत्र का जप करें…
मन्दारमालांकलितालकायै कपालमालांकितशेखराय।
दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नम: शिवायै च नम: शिवाय।।
पूजा पूर्ण करते समय भगवान शिव को घी, शक्कर का भोग लगाएं और इसके बाद धूप, दीप से आरती करें।
सावन और शिव से जुड़ी कथायें…
सावन महीने के बारे में सबसे प्रचलित पौराणिक कथा के मुताबिक शिव पत्नी देवी सती के अपने पिता दक्ष के घर योगशक्ति से शरीर त्यागने से पूर्व उन्होंने शिव जी को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था।
इसीलिए उन्होंने अपने दूसरे जन्म में पार्वती के रूप में भगवान शिव जी की पूजा की और सावन के महीने में कठोर तप किया। इस पूजा से प्रसन्न होकर शिवजी ने उनसे विवाह कर लिया। तभी से ये महीना शिव जी के लिए प्रिय हो गया।
ये कथा स्वयं शिवजी ने सनत कुमारों को सुनाई थी, जब उन्होंने सावन का महीना प्रिय होने के बारे में पूछा था। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव जी ने समुद्र मंथन से निकला विष पीकर सृष्टि की रक्षा की थी। यहीं कारण है कि इस महीने को शिव जी का प्रिय महीना माना जाता है।