आजकल पत्नियां ही नहीं कुछ पति भी करवा चौथ का व्रत अपने जीवन साथी की लंबी आयु की कामना से रखते हैं । छान्दोग्य उपनिषद में उल्लेखथ आता हैं की कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि यानी की करवा चौथ के दिन जो भी स्त्री या पुरूष व्रत रखते हैं उनके सारे पाप नष्ट होते हैं, उनके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते है, व्रत करने से आयु में वृद्धि होती है ।
सुबह से शाम तक उपवास रहने से बाद चंद्रमा के दर्शन होने पर पूजा कर अर्घ्य दिया जाता है । पूजन के बाद उपवास खोलने से पहले मिट्टी के बने करवे में चावल, उड़द और सुहाग की सभी सामग्री रखकर घर की बुजुर्ग महिला, अपनी सास या अन्य किसी सुहागिन महिलाओं को करवा भेंट कर पैर छुकर आशीर्वाद लेकर ही उपवास खोला जाता हैं ।
इन सामग्रियों पूजा की थाली में रखना न भूले
– करवा माता की फोटो
– माता पार्वती, शिवजी एवं गणेश जी की एक संयुक्त फोटो
– कच्चा दूध
– कुमकुम
– अगरबत्ती
– शक्कर
– शहद
– पुष्प
– गाय का शद्ध घी
– दही
– मेहंदी
– मिठाई
– गंगा जल
– सुगंधित चंदन
– चावल
– सिंदूर
– महावर
-कंघा
– मेहंदी
– चुनरी
– बिंदी
– बिछुआ
– चूड़ी
– मिट्टी का टोंटीदार करवा और ढक्कन
– दीपक और बाती के लिए रूई
– गेंहू
– शक्कर का बूरा
– गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी
– लकड़ी का आसन
– छन्नी चांद के दर्शन के लिए
– आठ पूरियों की अठवारी
– घी का हलवा
– कुछ चिल्लर पैसे
– व्रत खोलने के लिए एक लोटा शुद्ध जल
– पानी पीने के बाद मावे की शुद्ध मिठाई खाकर व्रत खोले
इन पूरी पूजन सामग्री को एक बड़ी सी थाली को सुंदर सा सजावट करके उसमें उपरोक्त सभी सामग्रियों को अच्छे से सजाकर रखने के बाद एक एक चीजों से करवा माता का पूजन करते चले । माता निश्चित ही आपकी सभी मनोकामना पूरी करेंगी ।