पुरोहितों के अनुसार कालाष्टमी की विशेष पूजा रात में होती है। इसलिए कालाष्टमी व्रत उस दिन रखा जाना चाहिए, जिस दिन प्रदोषकाल के बाद कम से कम एक घटी के लिए अष्टमी प्रबल हो वर्ना कालाष्टमी पिछले दिन चली जाती है, तब जब रात्रि के दौरान अष्टमी तिथि और अधिक प्रबल हो। इनकी पूजा में मांस मदिरा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, हालांकि कई लोग ऐसा करते हैं, जिसके दुष्परिणाम हो सकते हैं।
पुरोहितों के अनुसार रुद्रावतार कालभैरव की पूजा से शनि का कोप भी शांत हो जाता है। इसके लिए रविवार और मंगलवार को व्रत रखकर इनकी पूजा करना चाहिए। साथ ही कालभैरव के चमत्कारिक मंत्रों का जाप करना चाहिए। हालांकि पूजा से पहले कुछ सावधानियां रखनी जरूरी हैं। आइये जानते हैं कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए क्या करें
1. कालभैरव की पूजा से पहले कुत्ते को कभी दुत्कारना नहीं चाहिए बल्कि उसे भरपेट भोजन कराना चाहिए, क्योंकि कुत्ता कालभैरव का वाहन माना जाता है।
2. कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए जुआ, सट्टा, शराब, ब्याजखोरी, अनैतिक कृत्य से दूर रहना चाहिए।
3. कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए साफ-सफाई पवित्रता का खयाल रखना चाहिए।
4. दांत और आंत साफ रखना इसकी प्रमुख शर्त है, इनकी आराधना पवित्र होकर ही करें।
1. ॐ कालभैरवाय नम:।
2. ॐ भयहरणं च भैरव:।
3. ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्।
4. ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:।
5. ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।
6. ॐ भैरवाय नम:।
1. ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम: । ऐसे करें साधना
इन भैरव मंत्रों के जाप की शुरुआत रविवार की रात या मंगलवार की रात से करना चाहिए। इसके लिए रात में एक समय और एक स्थान सुनिश्चित कर प्रतिदिन मंत्र जप का दृढ़ संकल्प लेकर रोजाना साधना करें। इससे भैरव प्रसन्न होकर, भक्त की सारी समस्याओं को दूर कर देते हैं।
मान्यता है कि भैरव की आराधना से जिंदगी में हर तरह के संकटों से मुक्ति पाई जा सकती है। काल भैरवाष्टमी के दिन भैरव के मंत्रों का जाप व्यापार-व्यवसाय, शत्रु पक्ष से आने वाली परेशानियां, विघ्न-बाधाएं, कोर्ट-कचहरी और निराशा आदि से छुटकारा दिला देता है।