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Jyeshtha Purnima Mantra: ज्येष्ठ पूर्णिमा मंत्र और उपाय बदल देते हैं किस्मत, जानें कब जपें कौन सा मंत्र, किस उपाय से दूर हो करियर की बाधा

Jyeshtha Purnima Mantra: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है, यह तिथि भगवान सूर्य नारायण, श्री हरि विष्णु, मां लक्ष्मी, शिवजी की पूजा, व्रत, जप तप के लिए समर्पित है। ज्येष्ठ पूर्णिमा इसके महत्व को और बढ़ा देती है। इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था और प्रह्लाद की रक्षा की थी। इससे यह भगवान को प्रिय है, लेकिन इस दिन भगवान को प्रसन्न करने के लिए विशेष मंत्र और उपाय जानना जरूरी है। आइये जानते हैं ब्रह्म मुहूर्त, अभ्युदय मुहूर्त में पूजा जप तप के लिए ज्येष्ठ पूर्णिमा मंत्र और ज्येष्ठ पूर्णिमा उपाय (Purnima remedies change fate) …

भोपालJun 20, 2024 / 04:18 pm

Pravin Pandey

Jyeshtha Purnima Mantra Purnima remedies change fate

ज्येष्ठ पूर्णिमा मंत्र और उपाय

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत महत्व

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत के प्रमुख रूप से 4 तरह के महत्व बताए जाते हैं। इसके अनुसार इस दिन पूजा जप तप से पापों का नाश होता है और कई गुना अधिक पुण्यफल की प्राप्ति होती है, शुद्धिकरण होता है, मन को शांति मिलती है। वहीं इस व्रत को नियमित रखने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से सौभाग्य, समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा परिवार में सुख-शांति रहती है और किसी तरह का क्लेश है तो वह दूर हो जाता है। पंचांग के अनुसार साल 2024 में ज्येष्ठ पूर्णिमा स्नान दान की तिथि 22 जून है, इस दिन करें यह उपाय, वैसे ज्येष्ठ पूर्णिमा उपाय 21 जून को भी कर सकते हैं। वहीं, गायत्री मंत्र, तुलसी माला का जाप और दान-पुण्य करना शुभ है।

विशेष ज्येष्ठ पूर्णिमा मंत्र

  • सौभाग्य प्राप्ति मंत्र
    श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा
    ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
  • धन प्राप्ति मंत्र
    ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।
  • सुख-समृद्धि प्राप्ति मंत्र
    या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी। या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
    या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी। सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
  • भगवान विष्णु का मंत्र
    ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु का दुग्धाभिषेक कर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप सुख समृद्धि और बैकुंठ की प्राप्ति कराता है।
  • मां लक्ष्मी की कृपा का मंत्र
    ज्येष्ठ पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी का मंत्र ॐ महालक्ष्म्यै नमः जपना विशेष लाभदायक होता है। इस मंत्र से माता का आशीर्वाद मिलता है और रूठा भाग्य पक्ष में आ जाता है। आर्थिक तंगी से छुटकारा मिल जाता है, करियर की समस्याएं दूर होने लगती हैं।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा उपाय

  1. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें, पूजा पाठ के बाद चने और गुड़ का प्रसाद बांटें। मान्यता है कि इससे अत्यधिक पुण्यफल प्राप्त होता है। व्यक्ति का कल्याण होता है।
  2. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन बरगद का वृक्ष लगाना शुभ फलदायक माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने वाले व्यक्ति को शिव धाम की प्राप्ति होती है।
  3. वट पूर्णिमा के दिन बरगद के पेड़ के नीचे विष्णुजी का ध्यान करते हुए घी का दीपक, लौंग कपूर जलाएं। मान्यता है कि इससे जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इससे नौकरी में सफलता मिलती है, घर-बाहर का क्लेश बंद हो जाता है।
  4. बरगद के पेड़ के नीचे शिवलिंग स्थापित कर रोज पूजा करें। मान्यता है कि सुख और समृद्धि बढ़ जाएगी। बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पूजन करने, व्रत कथा कहने और सुनने से मनोकामना पूरी होती है। इस दिन शिव-पार्वती के साथ ही विष्णु-लक्ष्मी जी की पूजा करें।
  5. पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चंद्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर ‘ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम:’ या ‘ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:’ का जप करते हुए चंद्रमा को अर्घ्य दें। इससे आर्थिक समस्या खत्म होती है।
  6. मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का वास होता है। सुबह उठकर पीपल के पेड़ के सामने कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करें। इससे माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलेगा।
  7. पूर्णिमा के दिन नित्य-कर्मों से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं फिर एक मिट्टी का दीपक हनुमान जी के मंदिर में जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा करने से सभी तरह की बाधाएं दूर होती हैं।
  8. इस दिन बरगद के पेड़ में कच्चा दूध चढ़ाने से योग्य वर और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विवाह में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं।
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इस दिन क्या करें और क्या न करें

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत में एक समय सात्विक भोजन ग्रहण करने की भी परंपरा है। इस दिन फल, दूध, पंचामृत, खीर, साबुदाना खिचड़ी या अन्य हल्के सात्विक व्यंजनों का सेवन कर सकते हैं। हालांकि मांस, मछली, अंडा और शराब आदि का सेवन निषिद्ध है। वहीं ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत के दिन सकारात्मक विचार रखें और क्रोध, लोभ, ईर्ष्या आदि नकारात्मक भावों से बचें। किसी की निंदा न करें और सच्चाई का पालन करें। साथ ही पूरे दिन मन लगाकर भगवान का स्मरण करें।

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