वीरता
बाधाओं को पारकर लंका में माता सीता का पता लगाना, अपने रामदूत होने का उन्हें विश्वास दिलाना और राक्षसों का वध कर लंका को जलाकर लौटना जैसे वीरतापूर्ण कार्य के बाद भी अभिमान नहीं।
विवेक
सूक्ष्म रूप धरि सिंयहि दिखावा, विकट रूप धरि लंक जरावा.. हनुमान चालीसा बताती है कि हमारे पास इतना विवेक होना चाहिए कि कब छोटा बनना है और कब बड़ा बनना है। हनुमानजी से शिक्षा मिलती है कि हमें अपने विवेक का इस्तेमाल कर जीवन जीना चाहिए।
बुद्धिमानी
विद्यावान गुनी अति चातुर… हनुमान सुरसा के सामने विस्तार करते हैं, फिर एक सीमा के बाद छोटे हो जाते हैं। यानी, हम प्रतिस्पर्धा में एक सीमा तक आगे बढ़ें, फिर जरूरतों को सीमित कर आगे बढ़ना चाहिए।
शक्ति
अतुलित बल धामा… हनुमानजी से युवा पीढ़ी को मानसिक के साथ शारीरिक बल की प्रेरणा लेनी चाहिए। वर्तमान पीढ़ी पढ़-लिखकर जीवन में सफल बनना चाहती है किंतु शारीरिक बल की उपेक्षा करती है। ये भी पढ़ेंः मंगल 23 अप्रैल सुबह से बनाएगा चतुर्ग्रही योग, 4 राशियों पर होगी धन वर्षा, मिलेगी सुख संपदा विनम्रता
हनुमानजी ने सुरसा और रावण का अहंकार चूर किया था। बड़ी चुनौती के समक्ष निरहंकार रहकर खुद को सफल बनाया। साथ ही सिखाया कि इतनी ताकत के बाद भी वो कितने विनम्र थे।
साहस
हनुमानजी का जीवन सिखाता है कि संकट में मनोबल और मानसिक एकाग्रता बनाए रखना है। लक्ष्मण को बचाने के लिए किस तरह संजीवनी पहाड़ उठा लाते हैं। इस तरह वो संकट में धैर्य, मानसिक संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं।
समर्पण निष्ठा
हनुमानजी से कार्य या लक्ष्य के प्रति समर्पण की सीख मिलती है। हनुमान जी श्रीराम के हर आदेश का पालन कर सिद्ध करते हैं। इसके बाद भी इसका श्रेय नहीं लेते, बल्कि इसका श्रेय भी भगवान राम को ही देते हैं। वर्तमान में हनुमान चरित्र से पांच शिक्षा ले सकते हैं
- अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहें।
- उदार व्यक्तित्व का निर्माण करें।
- जिज्ञासु मन से ज्ञान हासिल करें।
- समर्पित भाव से स्वामी के प्रति निष्ठा रखें।
- लक्ष्य प्राप्ति तक आराम नहीं करें।