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Guru Purnima 2024: दो शुभ योगों में होगी गुरु पूर्णिमा पूजा, जानिए आषाढ़ पूर्णिमा का व्यासजी, महात्मा गौतम बुद्ध से कनेक्शन और महत्व

Guru Purnima 2024: आषाढ़ माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व है, यह पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। विशेष बात है कि गुरु पूर्णिमा दो शुभ योगों में मनाई जाएगी। इसका महाभारत के रचयिता व्यासजी के साथ महात्मा गौतम बुद्ध से भी कनेक्शन है। आइये जानते हैं कब है गुरु पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि क्या है और व्यासजी, महात्मा गौतम बुद्ध का कनेक्शन क्या है (connection of Ashadh Purnima with Vyasji Mahatma Gautam Buddha)।

भोपालJun 24, 2024 / 09:00 pm

Pravin Pandey

Guru Purnima 2024 date Guru pujan divas shubh yog

गुरु पूर्णिमा 2024 का महत्व, और बौद्ध, हिंदू धर्म दोनों से कनेक्शन

कब है गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2024 date)

काल गणना के अनुसार गुरु पूजा और श्री व्यास पूजा के लिए आषाढ़ पूर्णिमा तिथि को सूर्योदय के बाद तीन मुहूर्त तक व्याप्त होना आवश्यक है। पूर्णिमा तिथि पर तीन मुहूर्त से कम समय हो तो यह पर्व पहले दिन मना लिया जाता है। इसके अलावा पूर्णिमा के निर्धारण के लिए उदयातिथि का भी ध्यान रखा जाता है। इस कारण गुरु पूर्णिमा 2024 रविवार 21 जुलाई को है।
आषाढ़ पूर्णिमा तिथि प्रारंभः शनिवार 20 जुलाई 2024 को शाम 05:59 बजे
आषाढ़ पूर्णिमा तिथि समापनः रविवार 21 जुलाई 2024 को दोपहर 03:46 बजे
गुरु पूर्णिमा (उदया तिथि): रविवार 21 जुलाई 2024 को

गुरु पूर्णिमा पर शुभ योग (Aashadh Purnima shubh yog)

प्रीतिः पूरे दिन (अधिकांश कामों के लिए शुभ माना जाता है)
सर्वार्थ सिद्धि योगः 21 जुलाई सुबह 05:46 बजे से 22 जुलाई रात 12:14 बजे तक
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अशुभ योग

विष्कम्भः रात 09:11 बजे तक (यह योग पहले 3 घटी तक अशुभ है तो 3 घटी तक शुभ रहता है)

गुरु पूर्णिमा का महत्व

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन महाभारत, 18 पुराण, श्रीमद्भागवत, ब्रह्मसूत्र के रचयिता कृष्णद्वैपायन वेदव्यास का जन्म हुआ था। इस दिन लोग व्यासजी की जयंती मनाते हैं। इसके अलावा बौद्ध धर्म के अनुयायियों का मानना है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध ने वाराणसी के सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। इसी कारण गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं। इसलिए इस दिन को गुरु पूजन दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।

गुरु पूजन विधि (guru pujan vidhi)

  1. गुरु पूर्णिमा पर प्रातःकाल स्नान पूजा आदि नित्यकर्म करने के बाद शुद्ध कपड़े पहनें।
  2. फिर व्यास जी के चित्र को सुगंधित फूल या माला चढ़ाकर अपने गुरु के पास जाएं, उन्हें ऊंचे सुसज्जित आसन पर बैठाकर पुष्पमाला पहनाएं।
  3. इसके बाद वस्त्र, फल, फूल और माला अर्पित कर कुछ दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें।
    गुरु पूर्णिमा पर क्या करें
  4. गुरु पूर्णिमा पर गुरु के साथ परिवार के बड़ों माता-पिता, भाई-बहन आदि को भी गुरु तुल्य समझकर पूजा कर सकते है।
  5. इस दिन अपने गुरु से गुरु मंत्र ले सकते हैं और इस दिन गुरुजनों का यथासंभव सेवा करना चाहिए।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं।patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लें।)

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