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Gayatri jayanti 2024: साल में दो बार मनाई जाती है गायत्री जयंती, यहां जानें माता गायत्री से जुड़ी रोचक बातें

Gayatri jayanti 2024: गायत्री मंत्र सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक है, इसमें माता गायत्री की स्तुति है। इसे आपमें बहुत से लोग जपते भी होंगे, लेकिन क्या आपको मालूम है साल में दो बार मनाई जाती है गायत्री जयंती, आइये जानते हैं माता गायत्री से जड़ी रोचक बातें..

भोपालAug 16, 2024 / 12:33 pm

Pravin Pandey

Gayatri Jayanti 2024 celebration

Gayatri Jayanti 2024 celebration twice in year Sawan Purnima mantra ma Gayatri important fact related to Mother Gayatri here

Gayatri jayanti 2024: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हर साल दो बार भारत में गायत्री जयंती मनाई जाती है। एक ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि पर और दूसरा सावन पूर्णिमा पर, इन दिनों लोग व्रत और यज्ञ आदि कर माता गायत्री से आशीर्वाद मांगते हैं। यहां जानते हैं माता गायत्री से जुड़ी रोचक बातें …

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  1. माता गायत्री को वेदमाता भी कहा जाता है। उनके हाथों में चारों वेद सुशोभित रहते हैं। मां गायत्री का वाहन सफेद हंस है। वहीं इनके पास दूसरे हाथ में कमंडल रहता है।
  2. मान्यता के अनुसार मां गायत्र के दो स्वरूप हैं, एक गायत्री वो जो स्थूल रूप में एक देवी हैं और दूसरी वो जो चैतन्य रूप में इस ब्रह्मांड की आदि शक्ति हैं। गायत्री माता को आद्याशक्ति प्रकृति के पांच स्वरूपों में से एक माना गया है।
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3. जब भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना कर रहे थे तब उनके मुख पर सर्वप्रथम गायत्री मंत्र की रचना हुई थी। उसी से गायत्री माता की उत्पत्ति हुई और उसके बाद उनके द्वारा चारों वेदों की रचना संभव हुई। यही कारण है कि उन्हें वेदों की माता और भगवान ब्रह्मा को वेदों के पिता के रूप में जाना जाता है।
4. ये है सर्वशक्तिशाली गायत्री मंत्र
ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं, भर्गो देवस्य धीमहि, धियो यो नः प्रचोदयात्॥

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5. गायत्री माता को मां पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के समरूप माना जाता है। मां गायत्री को भगवान ब्रह्मा की पत्नी के रूप में भी माना जाता है। इन्हें सृष्टि की देवी के रूप में पूजा जाता है।
6. गायत्री माता पंचमुखी रूप में दर्शाई जाती हैं। अथर्ववेद में गायत्री माता को सृष्टि के निर्माण के पंचतत्वों का रूप माना गया है अर्थात उनके पांच मुख जल, वायु, अग्नि, आकाश तथा पृथ्वी को प्रदर्शित करते हैं।
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7. गायत्री माता के विवाह संबंधित एक कथा के अनुसार भगवान ब्रह्मा को एक यज्ञ में भाग लेने जाना था। उस समय मां सावित्री/ सरस्वती देवी वहां उपस्थित नहीं थी। भगवान ब्रह्मा का यज्ञ में भाग लेना भी आवश्यक था। इसलिए भगवान ब्रह्मा ने मां सरस्वती के रूप माँ गायत्री देवी से विवाह किया और यज्ञ में भाग लिया। इस प्रकार भगवान ब्रह्मा से मां गायत्री का विवाह संपन्न हुआ था।
8. सप्ताह के सात दिनों में से शुक्रवार का दिन मातारानी का दिन होता है। इस दिन मातारानी के हरेक रूप की पूजा की जा सकती है। ऐसे में गायत्री माता का वार भी शुक्रवार को ही माना जाएगा।

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