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धर्म-कर्म

साल 2023 के एकादशी व्रत जानें तिथियां और वार

– भगवान शिव के लिए जैसे प्रिय त्रयोदशी तिथि उसी के सामान भगवान विष्णु को एकादशी तिथि अत्यंत प्रिय

Nov 20, 2022 / 01:10 pm

दीपेश तिवारी

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सनातन धर्म में हिंदू कैलेंडर की एकादशी यानि ग्यारस तिथि को एक महत्वपूर्ण तिथि माना जाता है। मान्यता के अनुसार जैसे भगवान शिव को त्रयोदशी तिथि अति प्रिय है उसी प्रकार भगवान विष्णु को एकादशी तिथि अत्यंत प्रिय है। ऐसे में इस तिथि का बहुत अधिक महत्व होने के साथ एकादशी व्रत की भी बड़ी महिमा है।
पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि पद्म पुराण के अनुसार स्वयं महादेव भोलेबाबा ने नारद जी को उपदेश देते हुए कहा था कि, एकादशी महान पुण्य देने वाली होती है और बहुत ही फलदायक है। मान्यता के अनुसार जो मनुष्य एकादशी का व्रत रखता है उसके पितृ और पूर्वज कुयोनि को त्याग स्वर्ग लोक चले जाते हैं यानि कि उन्हें मरने के बाद नरक का दुःख भोगने की बजाय स्वर्ग की प्राप्ति होती है। तो चलिए अब जानते हैं एकादशी से जुड़ी कुछ खास बातें…

ऐसे समझें एकादशी?
हिंदू कैलेंडर की ग्यारहवीं तिथि एकादशी कहलाती है। संस्कृत से लिया गया एकादशी शब्द का अर्थ होता है ‘ग्यारह’। हिंदू कैलेंडर के एक महीने में एकादशी का दिन दो बार आता है यह एक ही माह के शुक्ल पक्ष में और कृष्ण पक्ष में आती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी कहा जाता है साथ ही अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। इस प्रकार सालभर में 24 एकादशी आती हैं साथ ही प्रत्येक पक्ष की एकादशी का अपना एक अलग ही महत्व होता है। इसके अलावा भी सनातन धर्म में ढेर सारे व्रत किए जाते हैं लेकिन, इन सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे पुराना और बहुत फलदायी माना जाता है।

साल भर की 24 एकादशी के नाम?
एक वर्ष में 24 एकादशी आती है और इस दौरान आने वाली सभी एकादशी के नाम इस प्रकार हैं :- कामदा एकादशी – Kamada Ekadashi,पापमोचिनी एकादशी – Papamochani Ekadasi,वरुथिनी एकादशी – Varuthini Ekadashi,मोहिनी एकादशी – Mohini Ekadashi,अपरा एकादशी – Apara Ekadashi,निर्जला एकादशी – Nirjala Ekadashi,योगिनी एकादशी – Yogini Ekadashi,देवशयनी एकादशी – Devshayani Ekadashi,कामिका एकादशी – Kamika Ekadashi,पुत्रदा एकादशी – Putrada Ekadashi,अजा एकादशी – Aja Ekadashi,परिवर्तनी एकादशी – Parivartini (Parsva) Ekadashi ,इंदिरा एकादशी – Indira Ekadashi,पापकुंशा एकादशी – Papankusha Ekadashi,रमा एकादशी – Rama Ekadashi ,देव प्रबोधनी एकादशी या देवउठनी एकादशी – Dev Uthani Ekadashi,उत्पन्ना एकादशी – Utpanna Ekadashi ,मोक्षदा एकादशी – Mokshda Ekadashi,सफला एकादशी – Saphala Ekadashi,पुत्रदा एकादशी – Putrada Ekadashi ,षटतिला एकादशी – Shattila Ekadashi ,जया एकादशी – Jaya Ekadashi ,विजया एकादशी – Vijaya Ekadashi,आमलकी एकादशी – Amalaki Ekadashi
इनके अलावा अधिकमास मास में पद्मिनी (कमला) और परमा एकादशी भी आती हैं।

एकादशी का क्या महत्व होता है?
पुराणों में भी एकादशी के महत्व के बारे में उल्लेख किया गया है, एकादशी के दिन को ‘हरी दिन’ और ‘हरी वासर’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रत करने का बहुत अधिक महत्व माना गया है, साथ ही इस व्रत को वैष्णव और गैर-वैष्णव दोनों ही समुदायों द्वारा किया जाता है। एकादशी के व्रत के बारे में यहां तक कहा जाता है कि एकादशी व्रत हवन, यज्ञ , वैदिक कर्म-कांड आदि से भी अधिक फलदायक होता है।

इसके अलावा एकादशी के व्रत को रखने की एक मान्यता यह भी है कि इससे आपके पूर्वज या पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। स्कन्द पुराण में भी एकादशी व्रत के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। जो भी व्यक्ति इस व्रत को रखता है उनके लिए एकादशी के दिन गेहूं, मसाले और सब्जियां आदि का सेवन वर्जित होता है। साथ ही एकादशी के व्रत की शुरुआत एक दिन पहले ही हो जाती है यानि कि एकादशी का व्रत दशमी से ही शुरू हो जाता है।

वर्ष 2023 में आने वाली एकादशी के दिन और वार…

एकादशी की तारीख और वार : एकादशी का नाम
02 जनवरी 2023, सोमवार : पौष पुत्रदा एकादशी
18 जनवरी 2023, बुधवार : षटतिला एकादशी
01 फरवरी 2023, बुधवार : जया एकादशी
16 फरवरी 2023, गुरुवार : विजया एकादशी
03 मार्च 2023, शुक्रवार : आमलकी एकादशी
18 मार्च 2023, शनिवार : पापमोचिनी एकादशी
01 अप्रैल 2023, शनिवार : कामदा एकादशी
16 अप्रैल 2023, रविवार : वरुथिनी एकादशी
01 मई 2023, सोमवार : मोहिनी एकादशी
15 मई 2023, सोमवार : अपरा एकादशी
31 मई 2023, बुधवार : निर्जला एकादशी
14 जून 2023, बुधवार : योगिनी एकादशी
29 जून 2023, गुरुवार : देवशयनी एकादशी
13 जुलाई 2023, गुरुवार : कामिका एकादशी
29 जुलाई 2023, शनिवार : पद्मिनी एकादशी
12 अगस्त 2023, शनिवार : परम एकादशी
27 अगस्त 2023, रविवार : श्रावण पुत्रदा एकादशी
10 सितंबर 2023, रविवार : अजा एकादशी
25 सितंबर 2023, सोमवार : परिवर्तिनी एकादशी
10 अक्टूबर 2023, मंगलवार : इन्दिरा एकादशी
25 अक्टूबर 2023, बुधवार : पापांकुशा एकादशी
09 नवंबर 2023, गुरुवार : रमा एकादशी
23 नवंबर 2023, गुरुवार : देवुत्थान एकादशी
08 दिसंबर 2023, शुक्रवार : उत्पन्ना एकादशी
23 दिसंबर 2023, शनिवार : मोक्षदा एकादशी

एकादशी व्रत के नियम
सनातन धर्म में हर व्रत को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं, इसी प्रकार एकादशी व्रत के भी कुछ नियम हैं, जिनका एकादशी व्रत रखने का प्रण लेने वाले व्यक्ति को पालन करना होता है। इस व्रत के नियम बहुत ही सख्त होते हैं, जिसमें व्रत करने वाले को एकादशी तिथि के पहले सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले सूर्योदय तक उपवास रखना पड़ता है। यानि कि यह व्रत दशमी तिथि की शाम से लेकर द्वादशी की सुबह तक चलता है।

यह व्रत किसी भी-लिंग या किसी भी आयु का व्यक्ति अपनी इच्छा से रख सकता है।

एकादशी व्रत रखने वालों को दशमी के दिन से ही श्रद्धालुओं को मांस-मछली, प्याज, दाल (मसूर की) और शहद जैसे खाद्य-पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह खाद्य पदार्थ एकादशी के व्रत में वर्जित होते हैं।

व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी की रात के समय से ही पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

एकादशी के दिन किसी भी पेड़ के पत्ते नहीं तोड़ने की मनाही है, यहां तक की इस दिन वृक्ष से पत्ते तोड़ना भी ‍वर्जित माना गया है।

व्रत के दिन स्नान आदि करने के बाद मंदिर में जाकर व्रतधारी को गीता का पाठ करना या पंडितजी से गीता का पाठ सुनना चाहिए। गीता का पाठ इस दौरन घर में भी किया जा सकता है। इस दिन व्रती को सच्चे मन से ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र जाप करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु का स्मरण और उनकी प्रार्थना करनी चाहिए।

इसके अलावा एकादशी के व्रत में दान-धर्म की भी बहुत मान्यता है,अत: इस दिन व्रती को अपनी यथाशक्ति दान करने के साथ ही गरीबो को भोजन करवाना चाहिए। इसके साथ ही किसी जरूरतमंद की मदद करने से बहुत ज्यादा पुण्य लगता है।

यह व्रत एकादशी के अगले दिन यानि द्वादशी के दिन सम्पूर्ण होता है, ऐसे में व्रती को द्वादशी के दिन सुबह नहा धोकर मंदिर में पंडित को दान दक्षिणा देनी चाहिए और फिर इस व्रत का पारण करना चाहिए। व्रती इस दिन ब्राह्मणों को मिष्ठान्न और दक्षिणा आदि दे सकते हैं।

एकादशी व्रत में क्या खाएं?
इस व्रत में ताजे फल, मेवे, कुट्टू, सामक, जैतून, दूध, चीनी, अदरक, काली मिर्च, साबूदाना, आलू, शकरकंद आदि खा सकते हैं। क्योंकि व्रत का खाना सात्विक होना चाहिए इसीलिए इस दिन ज्यादा तेल मसाले वाले आहार का सेवन वर्जित है। साथ ही जो भी आप खाए एक ही बार खाए, क्योंकि बार बार खाने से व्रत भंग होने की स्थिति निर्मित होती है।

एकादशी को ये कार्य न करें?
: इस दिन वृक्ष से पत्ते न तोड़ें, क्योंकि एकादशी के दिन ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
: एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगानी चाहिए, झाड़ू लगाने का कार्य दशमी को किया जा सकता है। इस दिन झाडू नहीं लगाने का कारण यह है कि माना जाता है कि घर में झाड़ू आदि लगाने से चीटियों या छोटे-छोटे जीवों के मरने का डर होता है और इस दिन जीव हत्या करना पाप होता है।
: बाल कटवाना, नाख़ून काटना, दाढ़ी बनवाना इस दिन पूरी तरह से वर्जित है।
: एकादशी के दिन चावल खाना भी वर्जित होता है, ऐसे में आपको गलती से भी इस दिन चावल या चावल से बनी चीजें नहीं खानी चाहिए।
: व्रत के दिन अन्न का सेवन भी वर्जित होता है, ऐसे में आप घर में या बाहर से किसी का दिया हुआ अन्न आदि न खाएं।
: इस दौरान मन में केवल अच्छे विचार और भगवान का नाम ही रखें और गलत विचारों को नहीं आने दें।
: गोभी, पालक, शलजम आदि का सेवन न करें।
: किसी को भी अपशब्द नहीं बोलें।

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