देवशयनी एकादशी पर शुभ योग
शुभ योगः 17 जुलाई सुबह 07:05 बजे तक
शुक्ल योगः पूरे दिन
सर्वार्थ सिद्धि योगः 17 जुलाई सुबह 05:44 बजे से 18 जुलाई सुबह 03:13 बजे तक
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देवशयनी एकादशी व्रत का महत्व
हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी, देवशयनी एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस दिन से भगवान विष्णु का शयनकाल प्रारंभ हो जाता है। इसीलिए इसे देवशयनी एकादशी कहते हैं। इसलिए इस दिन से हिंदू धर्म मानने वाले के धार्मिक और मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। देवशयनी एकादशी के चार माह के बाद भगवान विष्णु प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागते हैं, तभी फिर से मांगलिक कार्य शुरू होंगे।
इसी डेट से शुरू होता है चातुर्मास
देवशयनी एकादशी प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा के तुरंत बाद आती है और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार देवशयनी एकादशी का व्रत जून अथवा जुलाई के महीने में आता है। इसी दिन से चातुर्मास शुरू होता है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार चार महीने का आत्मसंयम काल है, जो देवशयनी एकादशी से प्रारंभ हो जाता है। यह भी मान्यता है कि इस तिथि से बौद्ध भिक्षु बौद्ध विहारों में एक जगह रहकर प्रवचन देते हैं और भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं।