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देव उठनी एकादशी के दिन इस पेड़ के नीचे बैठकर इसका पाठ करने से होता हैं सारे पापों का नाश

देव उठनी एकादशी के दिन इस पेड़ के नीचे बैठकर इसका पाठ करने से होता हैं सारे पापों का नाश

Nov 12, 2018 / 06:09 pm

Shyam

dev uthani gyaras

देव उठनी एकादशी के दिन इसका पाठ करने से होता हैं सारे पापों का नाश

शास्त्रों में ऐसी मान्यता हैं कि जिस दिन देवता सोकर उठते उस दिन अगर इस सुभाषित का पाठ सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर श्रद्धापूर्व किया जाये तो जाने अंजाने हुये पाप कर्मों का नाश हो जाता हैं । पापों के नाश के साथ ही इसका पाठ अर्थ सहित करने से मन की इच्छाएं भी पूरी हो जाती हैं । देव उठनी एकादशी इस साल 19 नवंबर 2018 दिन सोमवार को हैं ।

 

1- अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् ।
उदारचरितानां तु वसुधैवकुटम्बकम् ॥
अर्थात- यह मेरा है, वह उसका है जैसे विचार केवल संकुचित मस्तिष्क वाले लोग ही सोचते हैं। विस्तृत मस्तिष्क वाले लोगों के विचार से तो वसुधा एक कुटुम्ब हैन।



2- सत्यस्य वचनं श्रेयः सत्यादपि हितं वदेत् ।
यद्भूतहितमत्यन्तं एतत् सत्यं मतं मम् ।।
अर्थात- यद्यपि सत्य वचन बोलना श्रेयस्कर है तथापि उस सत्य को ही बोलना चाहिए जिससे सर्वजन का कल्याण हो। मेरे (अर्थात् श्लोककर्ता नारद के) विचार से तो जो बात सभी का कल्याण करती है वही सत्य है ।



3- सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात ब्रूयान्नब्रूयात् सत्यंप्रियम् ।
प्रियं च नानृतम् ब्रुयादेषः धर्मः सनातनः ।।
अर्थात- सत्य कहो किन्तु सभी को प्रिय लगने वाला सत्य ही कहो, उस सत्य को मत कहो जो सर्वजन के लिए हानिप्रद है, (इसी प्रकार से) उस झूठ को भी मत कहो जो सर्वजन को प्रिय हो, यही सनातन धर्म है ।



4- क्षणशः कणशश्चैव विद्यां अर्थं च साधयेत् ।
क्षणे नष्टे कुतो विद्या कणे नष्टे कुतो धनम् ॥
अर्थात- क्षण-क्षण का उपयोग सीखने के लिए और प्रत्येक छोटे से छोटे सिक्के का उपयोग उसे बचाकर रखने के लिए करना चाहिए। क्षण को नष्ट करके विद्याप्राप्ति नहीं की जा सकती और सिक्कों को नष्ट करके धन नहीं प्राप्त किया जा सकता ।



5- अश्वस्य भूषणं वेगो मत्तं स्याद गजभूषणम् ।
चातुर्यं भूषणं नार्या उद्योगो नरभूषणम् ॥

अर्थात- तेज चाल घोड़े का आभूषण है, मत्त चाल हाथी का आभूषण है, चातुर्य नारी का आभूषण है और उद्योग में लगे रहना नर का आभूषण है ।

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