scriptNavratri: इस नवरात्रि के पहले दिन भूलकर भी न करें ये काम | Chaitra Navratri: Do not do this work even by mistake on the first day of this Navratri | Patrika News
धर्म-कर्म

Navratri: इस नवरात्रि के पहले दिन भूलकर भी न करें ये काम

चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना वैधृति योग में होगी, जानें इस योग में कौन सा काम करें और वैधृति योग में कौन सा काम भूलकर भी न करें..

भोपालMar 29, 2024 / 06:53 pm

Pravin Pandey

kalash sthapana muhurt in Vaidhriti Yog in Chaitra Navratri 2024

चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना वैधृति योग मे होगी, इस योग में कई ऐसे काम है जिसे नहीं करना चाहिए। आइये जानते हैं वैधृति योग में क्या करें और क्या न करें

Chaitra Navratri 2024 मां दुर्गा की पूजा का उत्सव नवरात्रि अप्रैल में चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू होगा। इस चैत्र नवरात्रि में भी शारदीय नवरात्रि की तरह ही पूजा अनुष्ठान होते हैं। जिसके लिए पहले दिन शुभ समय में माता का आवाहन (निमंत्रण देना) किया जाता है। लेकिन चैत्र नवरात्रि 2024 में माता ऐसे योग में धरती पर आ रहीं हैं जिसमें भूलकर भी ये काम नहीं करने चाहिए।

चैत्र नवरात्रि में कब धरती पर आ रहीं हैं माता रानी

पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि (chaitra Navratri) की शुरुआत मंगलवार 9 अप्रैल 2024 से हो रही है। इसी दिन मां दुर्गा का घटस्थापना (कलश स्थापना) और मां शैलपुत्री की पूजा होगी। इसी के साथ मां दुर्गा की 9 दिवसीय पूजा शुरू हो जाएगी। इसके लिए कलश स्थापना का सामान्य मुहूर्त सुबह 6.05 से 10.16 बजे तक (4 घंटे 11 मिनट) है वहीं चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना का बेस्ट अभिजित मुहूर्त सुबह 11.57 बजे से दोपहर 12.47 बजे तक यानी 50 मिनट है।
ये भी पढ़ेंः Chaitra Navratri: इस नवरात्रि के पहले दिन भूलकर भी न करें ये काम, बन रहा है अशुभ योग

कलश स्थापना के समय वैधृति योग

साल 2024 में कलश स्थापना के समय वैधृति योग भी रहेगा। आमतौर पर इस योग में कलश स्थापना से बचते हैं, हालांकि शास्त्रों ने इस योग में कलश स्थापना पर रोक नहीं लगाई है। लेकिन ग्रह-नक्षत्रों की स्थितियां ऐसी हैं कि इस साल इस योग के रहते ही चैत्र नवरात्रि घटस्थापना करनी पड़ेगी।
दरअसल, पंचांग के अनुसार सोमवार 8 अप्रैल को शाम 6.14 बजे से वैधृति योग बन रहा है और यह 9 अप्रैल दोपहर 2.18 बजे तक रहेगा और नवरात्रि कलश स्थापना मध्याह्न से पहले हो जाना चाहिए। वाराणसी के पुरोहित पं शिवम तिवारी के अनुसार इसलिए वैधृति योग में ही चैत्र नवरात्रि की कलश स्थापना होगी।

कलश स्थापना का महत्व

शास्त्रों में नवरात्रि के आरंभ में घटस्थापना के स्पष्ट नियम बनाए गए हैं, क्योंकि यह देवी शक्ति का आवाहन है। माना जाता है कि इसी के बाद अन्य देवी-देवता की भी पूजा की जाती है। यह भी मान्यता है कि अशुभ या अनुचित समय पर घटस्थापना करने से देवी शक्ति का प्रकोप हो सकता है और आशीर्वाद नहीं मिलता है।
इसीलिए अमावस्या, मध्यकाल या रात्रिकाल में घटस्थापना करना वर्जित किया गया है। साथ ही चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में भी कलश स्थापना न करने की सलाह दी गई है।

वैधृति योग में कौन से काम नहीं करने चाहिए (Chaitra Navratri Vaidhriti Yog)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 27 योग में से कुल 9 योग अशुभ होते हैं, इन योगों में शुभ काम करने से बचना चाहिए। ये 9 अशुभ योग विष्कुम्भ, अतिगण्ड, शूल, गण्ड, व्याघात, वज्र, व्यतिपात, परिध और वैधृति हैं। मान्यता है वैधृति योग स्थिर कार्यों के लिए ठीक है, लेकिन यदि कोई भाग-दौड़ वाला कार्य या यात्रा आदि करने की सोच रहे हैं तो वैधृति योग में इसकी शुरुआत नहीं करनी चाहिए।

कलश स्थापना की सामग्री (Kalash Sthapana Samagri)

वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र, साफ मिट्टी, मिट्टी का एक छोटा घड़ा, कलश को ढंकने के लिए मिट्टी का एक ढक्कन की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए गंगा जल, सुपारी, 1 या 2 रुपए का सिक्का, आम की पत्तियां, अक्षत / कच्चे चावल, मौली (कलावा /रक्षा सूत्र), जौ (जवारे), इत्र (वैकल्पिक), फूल और फूल माला, नारियल, लाल कपड़ा / लाल चुनरी, दूर्वा (घास) की जरूरत पड़ेगी।

Hindi News/ Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Navratri: इस नवरात्रि के पहले दिन भूलकर भी न करें ये काम

ट्रेंडिंग वीडियो