भगवान श्रीकृष्ण की दृष्टि में सबसे बड़ा महापाप, अपराध है तो वह है भ्रूण हत्या । महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करके उसकी हत्या कर दी, गर्भस्थ शिशु की हत्या से भगवान श्री कृष्ण अत्यधिक क्रोधित हो गये थे ।
भगवान श्रीकृष्ण ने उसी समय यह घोषणा करते हुए कहा था कि- अश्वत्थामा का पाप अन्य सभी पापों में सबसे बड़ा महापाप है, क्योंकि अश्वत्थामा ने एक अजन्मे शिशु की हत्या की थी । श्री कृष्ण ने इस पाप की सजा स्वयं अश्वत्थामा को देते हुए अश्वत्थामा के सिर पर लगा चिंतामणि रत्न छीन कर श्राप दिया कि तुमने जन्म तो देखा है लेकिन मृत्यु को नहीं देख पाओगे यानी जब तक सृष्टि रहेगी तुम धरती पर जीवित रहोगे और भीषण कष्ट प्राप्त करोगे ।
इसलिए वो लोग भी सावधान हो जाये जो गर्भ में पल रहे भ्रूण की जन्म से पहले ही हत्या कर देते या गर्भपात करवा देते है ऐसे लोगों को मरने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ऐसी सजा देते है जिससे मरने के बाद भी मुक्ति नहीं हो सकती हैं । इसके अलावा भी गरूड़ पुराण में कुछ ऐसे अपराध बताएं गये जिनकों रूह कांपने वाले दण्ड दिये जाने का प्रावधान बताया गया है ।
अगर कोई पुरूष परस्त्री से संबंध रखता हो उन्हें लोहे के गर्म सलाखों को आलिंगन करवाया जाता है । जो पुरूष अपने गोत्र की स्त्री से संबंध बनाता है उसे नर्क भोगकर लकड़बघ्घा रूप में जन्म लेना पड़ता है । कंवारी लड़कियों से संबंध बनाने वाले को नर्क की घोर यातना सहने के बाद अजगर के रूप में जन्म लेना पड़ता है ।
जो व्यक्ति काम भावना से पीड़ित होकर गुरू की पत्नी का मान भंग करता है ऐसा व्यक्ति वर्षों तक नर्क की यातना सहने के बाद गिरगिट की योनी में जन्म लेता है । मित्र के साथ विश्वास घात करके उसके पत्नी से संबंध बनाने वाले को गधे की योनि में जन्म मिलता हैं । लेकिन व्यभिचार और धोखा देने से भी बड़ा एक पाप है जिसकी सजा को यमराज कठोर है ।