1- वीरभद्र अवतार – भगवान शिव का यह अवतार तब हुआ था, जब दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में माता सती ने अपनी देह का त्याग किया था ।
2- पिप्पलाद अवतार – पिप्पलाद जी का स्मरण करने मात्र से शनि की पीड़ा दूर हो जाती है । शिव महापुराण के अनुसार स्वयं ब्रह्मा ने ही शिव के इस अवतार का नामकरण किया था ।
3- नंदी अवतार – भगवान शंकर सभी जीवों का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए नंदीश्वर अवतार भी शिव स्वरूप सभी जीवों से प्रेम का संदेश देता है । नंदी (बैल) कर्म का प्रतीक है, जिसका अर्थ है कर्म ही जीवन का मूल मंत्र है ।
4- भैरव अवतार – श्री शिव महापुराण में भैरव को भगवान शंकर जी का पूर्ण रूप बताया गया है । परम पवित्र काशी में भैरव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली ।
5- अश्वत्थामा – महाभारत के अनुसार पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा काल, क्रोध, यम व भगवान शंकर के अंशावतार थे ।
6- शरभावतार – शरभावतार में भगवान शंकर का स्वरूप आधा मृग तथा शेष शरभ पक्षी (पुराणों में वर्णित आठ पैरों वाला जंतु जो शेर से भी शक्तिशाली था) का था । इस अवतार में शिवजी ने नृसिंह भगवान की क्रोधाग्नि को शांत किया था ।
7- गृहपति अवतार – भगवान शंकर का सातवां अवतार है गृहपति । जिनका अवतार नर्मदा नदी के तट पर धर्मपुर नाम का एक नगर में हुआ था ।
8- ऋषि दुर्वासा – भगवान शंकर के विभिन्न अवतारों में ऋषि दुर्वासा का अवतार भी प्रमुख है, रुद्र के अंश से मुनिवर दुर्वासा ने जन्म लिया अंहकारी आतताईयों इस धरा की रक्षी की ।
9- हनुमान – भगवान शिव का हनुमान अवतार सभी अवतारों में श्रेष्ठ माना गया है, इस अवतार में भगवान शंकर ने एक वानर का रूप धरा था ।
10- वृषभ अवतार- भगवान शंकर ने विशेष परिस्थितियों में वृषभ अवतार लिया था, इस अवतार में भगवान शंकर ने विष्णु पुत्रों का संहार किया था ।
11- यतिनाथ अवतार -भगवान शंकर ने यतिनाथ अवतार लेकर अतिथि के महत्व का प्रतिपादन किया था । उन्होंने इस अवतार में अतिथि बनकर भील दम्पत्ति की परीक्षा ली थी ।
12- कृष्णदर्शन अवतार- भगवान शिव ने इस अवतार में यज्ञ आदि धार्मिक कार्यों के महत्व को बताया है, इसलिए यह अवतार पूर्णत: धर्म का प्रतीक है ।
13- अवधूत अवतार – भगवान शंकर ने अवधूत अवतार लेकर इंद्र के अंहकार को चूर किया था ।
14- भिक्षुवर्य अवतार – भगवान शंकर तो स्वयं देवों के देव हैं, संसार में जन्म लेने वाले हर प्राणी के जीवन के रक्षक भी हैं । भगवान शंकर का भिक्षुवर्य अवतार यही संदेश देता है ।
15- सुरेश्वर अवतार – इस अवतार में भगवान शंकर ने एक छोटे से बालक उपमन्यु की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अपनी परम भक्ति और अमर पद का वरदान दिया ।
16- किरात अवतार – किरात अवतार में भगवान शंकर ने पाण्डुपुत्र अर्जुन की वीरता की परीक्षा ली थी और प्रसन्न होकर अर्जुन को कौरवों पर विजय का आशीर्वाद दिया ।
17- सुनटनर्तक अवतार – पार्वती के पिता हिमाचल से उनकी पुत्री का हाथ मागंने के लिए शिवजी ने सुनटनर्तक वेष धारण किया था ।
18- ब्रह्मचारी अवतार – जब शिवजी को पति रूप में पाने के लिए पार्वती ने घोर तप किया, तो पार्वती की परीक्षा लेने के लिए शिवजी ब्रह्मचारी का वेष धारण कर उनके पास पहुंचे थे ।
19- यक्ष अवतार – यक्ष अवतार शिवजी ने देवताओं के अनुचित और मिथ्या अभिमान को दूर करने के लिए धारण किया था ।