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भगवान पार्श्वनाथ जयंती 21 दिसंबर 2019

भगवान पार्श्वनाथ जयंती 21 दिसंबर 2019

Dec 20, 2019 / 03:10 pm

Shyam

भगवान पार्श्वनाथ जयंती 21 दिसंबर 2019

भगवान पार्श्वनाथ जयंती 21 दिसंबर 2019

भगवान पार्श्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर माने जाते हैं, जिन्होंने अज्ञान-अंधकार-आडम्बर एवं क्रियाकाण्ड के मध्य में क्रांति का बीज बन कर पृथ्वी पर जन्म लिया था। इनका जन्म अरिष्टनेमि के एक हज़ार वर्ष बाद इक्ष्वाकु वंश में पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को विशाखा नक्षत्र में वाराणसी नगर में हुआ था। इनके शरीर का रंग नीला और चिन्ह सर्प माना जाता है। इस साल 2019 में भगवान पार्श्वनाथ की जयंती 21 दिसंबर दिन शनिवार को मनाई जाएगी।

भगवान पार्श्वनाथ जयंती 21 दिसंबर 2019

भगवान पार्श्वनाथ बचपन से ही चिंतनशील और दयालु स्वभाव के थे। वे सभी विद्याओं में ये प्रवीण थे, भगवान पार्श्वनाथ ने अपने समय की हिंसक स्थितियों को नियंत्रित कर समाज में अहिंसा का प्रकाश फैलाया। यूं लगता है मानो भगवान पार्श्वनाथ जीवन दर्शन के पुरोधा बनकर ही इस धरा पर जन्म लिए थे। भगवान पार्श्वनाथ की पूरी जीवन यात्रा पुरुषार्थ एवं धर्म की प्रेरणा से भरी थी। वे सम्राट से संन्यासी बने, वर्षों तक दीर्घ तप तपा, कर्म निर्जरा की और तीर्थंकर बने। भगवान पार्श्वनाथ ने जैन दर्शन के रूप में शाश्वत सत्यों का उद्घाटन किया।

भगवान पार्श्वनाथ जयंती 21 दिसंबर 2019

जैन धर्म पुराणों के अनुसार भगवान पार्श्वनाथ को तीर्थंकर बनने के लिए पूरे नौ जन्म लेने पड़े थे। पूर्व जन्म के संचित पुण्यों और दसवें जन्म के तप के फलतः ही वे 23वें तीर्थंकर बने। जैन धर्मावलम्बियों के अनुसार, भगवान पार्श्वनाथ के गणधरों की कुल संख्या 10 थी, जिनमें आर्यदत्त स्वामी इनके प्रथम गणधर थे और इनके प्रथम आर्य का नाम पुष्पचुड़ा था।

भगवान पार्श्वनाथ जयंती 21 दिसंबर 2019

भगवान पार्श्वनाथ ने पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वाराणसी नगरी में दीक्षा की प्राप्ति की थी और दीक्षा प्राप्ति के दो दिन बाद खीर से पहला पारणा किया। भगवान पार्श्वनाथ ने केवल 30 साल उम्र में ही सांसारिक सभी तरह की मोहमाया और गृह का त्याग कर संन्यास धारण कर लिया था। 84 दिन तक कठोर तप करने के बाद चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को वाराणसी में ही ‘घातकी वृक्ष’ के नीचे इन्होनें ‘कैवल्य ज्ञान’ को प्राप्त किया। भगवान पार्श्वनाथ का निर्वाण पारसनाथ पहाड़ पर हुआ था। पार्श्वनाथ ने अहिंसा का दर्शन दिया। अहिंसा सबके जीने का अधिकार है, उन्होंने इसे स्वीकृत किया।

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