अक्षय तृतीया पर्व को अखातीज और वैशाख तीज भी कहा जाता है। यह त्यौहार भारत में एक बड़े पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन स्नान, दान, जप, हवन आदि करने पर इनका फल अक्षय रूप में प्राप्त होता है।
अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया के दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ था, ऐसा माना जाता है। भगवान विष्णु नर-नारायण के रूप में एवं हृयग्रीव और परशुराम का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था। इस दिन सभी विवाहित और अविवाहित बहनें विशेष पूजा भी करती है। अक्षय तृतीया के दिन भगवान गणेशजी एवं माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती हैं। कुछ लोग तो इस दिन महालक्ष्मी मंदिर में जाकर धन प्राप्ति की कामना से चारों दिशाओं में सिक्के उछालते हैं।
अक्षय तृतीया को दान का महत्व
धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस खास दिन दान-पुण्य करने से धन-वैभव में वृद्धि होने लगती है। एक प्राचीन कथा के अनुसार, आज ही के दिन भगवान शिव शंकर से कुबेर को धन मिला था और इसी खास दिन भगवान शिव ने माता लक्ष्मी को धन की देवी का आशीर्वाद भी दिया था। इस दिन दान करने से मृत्यु का भय दूर हो जाता है। इस दिन जिस भी चीज का दान किया जाता है, उसके फल मनुष्य को कई जन्मजन्मांतरों तक मिलते रहते हैं।
इन चीजों का करें दान-
1- अक्ष्य तृतीया के दिन गरीब बच्चों को दूध, दही, मक्खन, पनीर आदि का दान करने से विद्या की देवी मां सरस्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2- अक्षय तृतीया के दिन जौ, तिल एवं चावल का दान करने से आजीवन अन्न की कमी नहीं रहती।
3- अक्षय तृतीया के शुभ दिन गंगा, नर्मदा जैसी पावन नदियों में स्नान के बाद सत्तू खाने और जौ और सत्तू दान करने से व्यक्ति अनेक पापों के दुष्फल से मुक्त हो जाते हैं।
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