अवधूत परंपरा के समर्थ संत सद्गुरु नित्यानंदजी का यह आश्रम सिद्ध गुरुभूमि के रूप में साधना, आराधना का एक विशेष केंद्र है। बापजी नित्यानंद, लक्ष्मीकांत महाप्रभु, जयनारायणजी तथा राजानंदजी के हजारों भक्त इस दिन धार आश्रम पर गुरुसेवा के लिए आते हैं। भक्तजन इंदौर, उज्जैन, शाजापुर, आगर, मंदसौर, धोसवास, रतलाम, गुजरात तथा राजस्थान आदि क्षेत्रों से आते हैं। तीन दिवसीय इस गुरु पूर्णिमा उत्सव की शुरुआत भजन संध्या के साथ हुई। शनिवार शाम को भी गुरु भजन हुए। गुरु पूर्णिमा पर संध्या आरती पश्चात सुंदर काण्ड का पाठ होगा। वैसे तो एक दिन पूर्व से ही भक्तों का आना शुरू हो जाता है। पादुका पूजन व महाप्रसादी होगी पूर्णिमा सुबह ब्रह्ममुहूर्त से विद्वान आचार्यों के सानिध्य में गुरु समाधि पर लघुरुद्र से गुरुदेव का अभिषेक शुरू होता है। गुरु पादुका पूजन, महाआरती एवं महाप्रसादी का आयोजन दोपहर तक चलता है। इस तरह से नित्यानंद आश्रम परंपरा से जुड़े हजारों भक्तजन इस सिद्ध क्षेत्र में आकर स्वयं को धन्य महसूस करते हैं। आश्रम परिसर में अतिप्राचीन यज्ञशाला, सुव्यवस्थित गोशाला, पंख फैलाकर नृत्य करते मोर तथा कमलपुष्पों से आच्छादित देवी सागर तालाब इस पावन स्थली को और भी भव्यता प्रदान करते नजर आ रहे हैं। आश्रम ट्रस्ट यहां की व्यवस्थाओं का पूर्ण अनुशासन एवं पारंपरिक ढंग से संचालन तो कर ही रहा है। इसके अलावा यहां आने वाले नियमित गुरुभक्त भी यहां की पूजन, अर्चन, नित्य आरती, महाआरती तथा रखरखाव वह साफ. सफाई के प्रति समर्पित भाव से अपना योगदान प्रदान करते हैं।
-स्त्रोत-डॉ श्रीकांत द्विवेदी
गुरुपूर्णिमा के महापर्व पर
प्रातः 4 बजे महापुजा
सुबह 9 बजे आरती
आरती के बाद महाप्रसादी 2 बजे तक
दोपहर 3 बजे पालकी यात्रा
संध्या 5 बजे आरती
आरती के बाद अखंड ओम नमः शिवाय का आरंभ