भोजशाला का यह हिस्सा केंद्र बिंदु की तरह है। हिन्दू पक्ष इस स्थान को गर्भगृह की तरह मानते हैं। वे हर मंगलवार मां वाग्देवी की मूर्ति रखकर पूजा करते हैं। यहीं मौजूद गुंबद पर अष्टकमल की आकृतियां भी हैं। बारीकी से इस पूरे क्षेत्र को टीम ने स्कैन किया है। गर्भगृह से लगे स्थान के पास एक चबूतरा भी है। इसे संत के प्रवचन वाले स्थान के रूप में माना जाना है। इस स्थान को मुस्लिम पक्ष भी अहम मानता है। वैज्ञानिक सर्वे में तमाम बिंदुओं को ध्यान में रखकर प्रक्रिया की गई।
वैज्ञानिक सर्वे में कार्बन डेंटिंग शामिल करने के आदेश हंै। इसी कड़ी में रविवार को टीम ने स्तंभ व शिलालेखों पर चढ़ी परत से केमिकल लगाकर सैंपल निकाले। इससे इमारत की उम्र का पता चलेगा। यज्ञशाला, स्तंभ, शिलालेख की फोटो-वीडियोग्राफी भी की गई है।
सर्वे ठीक, क्या मिला, एएसआई बताएगी
सर्वे में शामिल हिंदू पक्षकार के याचिकाकर्ता गोपाल शर्मा ने बताया, तीसरे दिन भी मापदंड अनुसार टीम ने सर्वे किया है। सर्वे में क्या सामने आया है, इसकी जानकारी एएसआई को देना है। प्रक्रिया से हम सहमत हैं।
तीन टीमें हैं, मैं अकेला तीन जगह कैसे रहूंगा
स र्वे में कमाल मौलाना वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष अब्दुल समद ने कहा, कुछ बिंदुओं पर आपत्ति थी। इसे लिखित में सर्वे टीम ने नहीं लिया। ई-मेल भेजा है। 2003 के बाद जो चीजें रखी गईं, उसे सर्वे में शामिल न करें। जो दिखा रहा, उसे दर्ज करें। तीन टीम हैं, मैं एक वक्त पर तीन जगह नहीं रह सकता। उन्होंने पहले दिन के सर्वे को शून्य घोषित करने की मांग की। पहले दिन पक्ष से कोई सदस्य सर्वे में नहीं था।