ऐसा ही एक मामला अरसीकन्हार के जंगल में सामने आया है। जहां पर कुछ लोगों ने तेंदुआ का शिकार कर लिया। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार तेंदुआ की मौत करीब 6 दिन पहले ही हो गई थी। शिकारी तेंंदूए का नाखून-दांत सहित अन्य अंग उखाड़ कर ले गए। पत्रिका संवाददाता ने घटना स्थल का निरीक्षण किया, वहां पर सिर्फ मलमूत्र और बाल सहित कुछ अवशेष पड़े मिले।
मिले निशान घटना स्थल पर तेंदुआ के मृत शरीर के अवशेष पड़े हुए हैं। अपनी पगड़ी बचाने के लिए अधिकारी इस मामले पर पर्दा डालने की कोशिश में लगे हुए हैं। अधिकारी तेंदुआ को लकड़बग्घा बता रहे हैं। उनकी इस बात को एक सिरे से खारिज करते हुए ग्रामीणों का कहना है कि यदि यह जानवर लकड़बग्घा होता, तो शिकारी उसके अंगों को नहीं ले जाते।
वनों के जलस्त्रोतों में पानी कमी बनी हुई है, जिसके चलते वन्यजीवों के शिकार का खतरा बढ़ गया है। हर साल इस प्रकार के मामले सामने आते हैं, फिर भी वन विभाग द्वारा वन्यजीवों के लिए जंगल में समुचित रूप से पानी की व्यवस्था नहीं करता। पत्रिका ने इस मुद्दे को लगातार प्रकाशित किया, लेकिन अब तक अधिकारियों की नींद नहीं खुली है।
ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग की टीम ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। वहां घटना स्थल पर तेंदूआ नहीं लकड़बग्घा की मौत हुई है। आरके रायस्त, एसडीओ टाइगर रिजर्व