महानदी जलाशय परियोजना के तहत अंचल में चार जलाशय है। इसमें सबसे बड़ा गंगरेल बांध हैं, जिसकी क्षमता 32.150 टीएमसी हैं। 5 जुलाई की स्थिति में गंगरेल बांध में 18.646 टीएमसी पानी भरा हुआ है, जो कुल जलभराव का 50.13 फीसदी है। बांध में 266 क्यूसेक पानी की आवक बनी हुई हैं, जबकि इसी अवधि में बीते साल गंगरेल बांध 23 टीएमसी पानी भर चुका था। इस साल मौसम की बेरूखी से बांधों की प्यास बुझ नहीं पा रही है।
नगरी-सिहावा वनांचल में स्थित सोंढूर बांध में 4.471 टीएमसी पानी संग्रहित है। जबकि इस बांध की क्षमता 6.995 टीएमसी है। इसे भरने के लिए अभी भी 40 फीसदी पानी की और जरूरत है। यहां से 204 क्यूसेक पानी प्रति सेकंड छोड़ा जा रहा है। इसी तरह दुधावा बांध में 64.7 फीसदी पानी संग्रहित है। 10.192 टीएमसी क्षमता वाले इस बांध में 6.588 टीएमसी पानी भरा हुआ है तथा आवक 275 क्यूसेक हो रही है। परियोजना का चौथा बांध मुरूमसिल्ली पूरी तरह खाली है। बारिश के पहले ही इस बांध में मरम्मत कार्य के चलते पूरा पानी को गंगरेल बांध ले आया था। बांध के कैचमेंट एरिया में भी बारिश नहीं हो रही है, जिस कारण यह बांध पूरी तरह खाली पड़ा हुआ हैं।
अब तक आया 0.976 टीएमसी
बारिश के सीजन में अब तक चारों बांधों में एक टीएमस पानी भी संग्रहित नहीं हो सका। पांच जुलाई की स्थिति में चारों बांधों को मिलाकर कुल 0.976 टीएमसी पानी की आवक हुई है, जबकि एक जून से अब तक इन बांधों से कुल 2.254 टीएमसी पानी छोड़ा गया है