उल्लेखनीय है कि धमतरी में जून और जुलाई का महीना प्रदर्शनकारियों के नाम रहा। जुलाई का महीना बीतने में अभी 10 दिन और शेष हैं। इस बीच 15 जुलाई की स्थिति में पिछले 45 दिनों में जिस तरह से रोजाना धरना-प्रदर्शन हुए, उसे लेकर आम जनता भी काफी प्रभावित हुई हैं। सूत्रों के अनुसार ऐसे आंदोलनों में 8-10 मामले में एफआईआर दर्ज भी हो चुकी हैं।
हाइवा बंद करने प्रदर्शन
13 जुलाई को भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने सड़कों की खराब स्थिति को लेकर हाइवा बंद करने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। इसके बाद संविदा कर्मचारी संघ, बिजली विभाग संविदा आपरेटर, लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ ने प्रदर्शन किया। 15 जुलाई को गांधी मैदान में स्वच्छता दीदीयों ने धरना देकर बैठ गई।
आम जनता की बढ़ी परेशानी
उधर, आए दिन होने वाले धरना-प्रदर्शन और घेराव कार्यक्रमों से कलेक्ट्रेट, जिला पंचायत, जनपद पंचायत, नगर निगम समेत अन्य दफ्तरों का कामकाज बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। नागरिक सुदर्शन ठाकुर, सत्यावन ध्रुव, महेश साहू ने कहा कि राशन कार्ड, पीएम आवास, आय-जाति, निवास प्रमाण पत्र, आयुष्मान कार्ड, नक्शा-खसरा आदि कार्यों को लेकर जब लोग दफ्तरों में पहुंचते हैं, तो संबंधित अधिकारी-कर्मचारी ही नहीं मिलते। ऐसे में प्रशासनिक कामकाज पर भी इन आंदोलनों का गहरा असर पड़ा है। ऐसे में आम जनता की ही परेशानी बढ़ रही है।
प्रशासन की खुली पोल
लोकतांत्रिक ढंग से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करने का सभी को अधिकार है। शायद यही वजह है कि चुनावी वर्ष में आंदोलन करने की बाढ़ आ गई है। इसके साथ ही चक्काजाम, पुतला दहन जैसे मामले में प्रशासन की कलई भी खुल गई है। कई बार आंदोलनकारियों के सामने प्रशासनिक अधिकारी बेबस नजर आ रहे हैं। एक अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में जिस तरह से माहौल बन रहा है, ऐसे में कल कोई भी सत्ता में आ सकता है। हमें आगे भी अपनी नौकरी करनी है।