देवरिया. राजनैतिक घटनाक्रम पिछले दो-तीन दिनों में यूपी में तेजी से बदले। बीजेपी ने सपा और बसपा में सेंध लगायी और बड़ा झटका दिया। उसके बाद अब बसपा ने सपा को तगड़ा झटका देते हुए पूर्व सांसद, दिग्गज सपा नेता व वरिष्ठ समाजवादी हरिवंश सहाय कुशवाहा के पुत्र डॉ. अरविंद सहाय कुशवाहा को तोड़ लिया। एक कार्यक्रम कर न सिर्फ उन्हें बसपा ज्वाइन करायी गयी बल्कि वहीं उनकी सलेमपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवारी का ऐलान भी कर दिया गया। यह खबर रानीतिक हलकों में चैंकाने वाली रही। इसे भी पढ़ें सपा पूर्व सांसद के पुत्र डॉ. अरविंद सहाय बसपा में शामिल, सलेमपुर से लड़ेंगे लोकसभा चुनाव बसपा ज्वाइन करते डॉ. अरविंद सहाय कुशवाहा बताते चलें कि कि बीते 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने हरिवंश सहाय को सलेमपुर सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था। हालांकि वो एक लाख 59 हजार 688 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। बसपा दूसरे और भाजपा ने यहां बड़े अन्तर से जीत दर्ज की थी। सलेमपुर क्षेत्र को कुशवाहा बाहुल्य माना जाता है इस कारण ज्यादातर पार्टियां यहां इसी जाति के प्रत्याशियों को अपना प्रत्याशी बनाने को तरजीह देती हैं। इसे भी पढ़ेंमहिला शिक्षामित्र ने पकड़ा केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया का पैर, मेरी नौकरी बचा लीजिये कहते हुए बेहोश हो गई बसपा ज्वाइन करते डॉ. अरविंद सहाय कुशवाहा हालांकि बसपा ज्वाइन करने व सलेमपुर से प्रत्याशी बनाए जाने वाले डॉ. अरविंद सहाय कुशवाहा सीधे तौर पर राजनीती में उतने सक्रिय न रहे हों पर फसल तो उन्हें अपने पिता की राजनीति की ही काटनी है। बसपा ने इसी को मद्देनजर रखते हुए उन्हें पार्टी ज्वाइन कराकर प्रत्याशी बनाया है। अरविंद भाटपाररानी में एक अपना निजी महाविद्यालय चलाते हैं। इलाके में परिवार के मुखिया और उनके पिता हरिवंश सहाय की काफी गहरी पैठ है। डॉ. अरविंद सहाय कुशवाहा (फाइल फोटो) पिता की राजनैतिक पारी में वो भागदौड़ करते देखे जाते थे। सामाजिक और सांस्कृतिक कामों में वह काफी सक्रिय रहते थे, इसके चलते ही हरिवंश सहाय इलाके में कुशल और व्यावहारिक छवि वाले नेता माने जाते हैं। आपातकाल में नौ महीने जेल काटने और गरीबों पिछड़ों की लड़ाई को लेकर उनकी इलाके में अलग पहचान रही है। बसपा के इस दांव की किसी को खबर तक नही थी लेकिन 2019 के चुनाव में उसकी यह गणित किस तरफ करवट लेगी अभी कुछ कह पाना सम्भव नहीं। पर इस कदम से सपा को सदमा और बीजेपी को सोचने पर मजबूर तो कर ही दिया है ऐसा राजनीतिक जानकारों का मानना है। हरिवंश सहाय कुशवाहा (फाइल फोटो)