सैनिकों की जान बचाते हुए शहीद हो गए थे अंशुमन
कैप्टन अंशुमन पिछले साल 19 जुलाई को आर्मी टैंट में लगी आग में फंसे सैनिकों की जान बचाते हुए शहीद हो गए थे। उन्हें इस साल कीर्ति चक्र के लिए चुना गया था। उनकी पत्नी और मां ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से ये सम्मान हासिल किया। कैप्टन अंशुमान के पिता ने आरोप लगाया है कि उनकी बहू ने बेटे को मिले सम्मान को उन्हें छूने तक नहीं दिया था। अंशुमान के पिता ने ये आरोप भी लगाया था कि उनकी बहू बेटे की तेरहवीं के बाद ही ससुराल छोड़कर चली गईं थीं और उसके बाद से परिवार से कोई संपर्क नहीं रखा है।
परिजनों और पत्नी के बीच बंटवारे को लेकर नई बहस
इन आरोपों को बाद दिवंगत सैनिकों को मिलने वाली मदद के परिजनों और पत्नी के बीच बंटवारे को लेकर नई बहस शुरू हो गई है। कैप्टन अंशुमान के परिवार को यूपी सरकार की तरफ से भी पचास लाख रुपये की मदद दी गई थी। इसमें से उनके माता पिता को 15 लाख जबकि बाकी 35 लाख उनकी पत्नी को मिले थे। कैप्टन अंशुमान की पत्नी ने इस पूरे विवाद पर कोई बयान नहीं दिया है। सेना की तरफ से उनका एक वीडियो अवॉर्ड मिलने से पहले जारी हुआ था जिसमें वो अपने शहीद पति को याद कर रहीं थीं। अंशुमान शादी के करीब पांच महीने बाद ही शहीद हो गए थे। वो अपनी पत्नी स्मृति के साथ लंबा वैवाहिक जीवन नहीं बिता सके। हालांकि अंशुमान और उनकी पत्नी शादी से पहले लंबे समय तक रिलेशनशिप में थे।