जिला मुख्यालय पर नगर परिषद के तत्वावधान में रावण के टीले पर 55 फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया गया। यह नजारा देखने के लिए लोगों की उमड़ पड़ी, लेकिन जिला स्तर से लेकर उपखण्ड स्तर के अधिकारी नदारद रहे। यहां तक भी दो-तीन पार्षदों के अलावा जनप्रतिनिधि भी नहीं पहुंचे।
लोगों का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब जिला मुख्यालय के दशहरा उत्सव में जिला कलक्टर से लेकर अन्य मातहत अधिकारी नहीं पहुंचे हैं। गौरतलब है कि गत वर्ष जिला कलक्टर, एसपी सहित सभी अधिकारी पहुंचे थे। इस बार नगर परिषद के एक एईएन सहित दो-तीन कर्मचारियों ने ही परम्परा को निभाने की औपचारिकता पूरी कर दी। लोगों का कहना है कि अधिकारी विभिन्न संस्थाओं के निजी कार्यक्रमों में पहुंच जाते हैं, जबकि दशहरे उत्सव से किनारा कर लिया गया।
निकाली शोभायात्रा, जनभागीदारी शून्य
शहर में आध्यात्मिक आदर्श रामलीला समिति के पात्रों ने सजीव झांकियों के साथ बजरंग मैदान से शोभायात्रा निकाली। इसमें भी जनभागीदारी शून्य रही। बस लोगों ने अपने रास्ते में से गुजरते वक्त यात्रा को देख लिया, लेकिन साथ चलने वाले चंद लोग ही थे। खास बात यह है कि यात्रा में आवश्यक उपस्थित के लिए आयुकत ने आदेश निकालकर कार्मिकों के हस्ताक्षर भी कराए थे। इसके बावजूद कम ही कार्मिक दिखे।
उप सभापति कल्पना जैमन, पार्षद पूरण सैनी, शाहनवाज मोहम्मद सनी खान आदि ने परिषद के बाहर शोभायात्रा का पूजन किया। यात्रा के रावण के टीले पर पहुंचने के बाद राम-रावण के पात्रों में संवाद के बाद युद्ध हुआ। भगवान राम के पात्र ने ज्यों ही अग्निबाण चलाया तो रावण का पुतला चंद पलों में ही धू-धू कर जलने लगा। इस मौके पर जमकर आतिशबाजी भी हुई।