जानकारी के अनुसार
मोरेल नदी के बहाव क्षेत्र में ग्रामीणों ने जनसहायोग से कच्चा एनीकट बनाया गया था। एनिकट में पानी की आवक अधिक होने से 8 सितरम्बर 2024 की रात्रि को टूट गया था। इससे ग्रामीणों ने जी-जान लगाकर की गई मेहनत पर पानी फिर गया था। एनिकट टूटने पर युवाओं ने हार नहीं मानी।
तीन दिन में तैयार कर दिया एनिकट
युवाओं ने फिर से एनिकट को तैयार करने का बीड़ा उठाकर जनसहयोग से तीन दिन तक लगाकर दिन-रात मेहनत कर ट्रैक्टर टाॅली, जेसीबी आदि की सहायता से फिर दोबारा एनिकट की पाल तैयार कर दी। इससे एनिकट अब लबालब भर गया। इससे आसपास के दर्जनों गांवों का जलस्तर बढ़ने से लोगों को फायदा मिलेगा।
पहले सात दिन में बनाए थे तीन एनिकट
उल्लेखनीय है कि गांव देहलावास, टोडरवास व सींगपुरा के ग्रामीणाें ने बारिश शुरू होने से पहले गिरते भूजल से परेशान होकर माेरेल नदी में बहने वाले पानी को रोकने के लिए तीनाें गांवों के लोगों ने 8 लाख रुपए चंदा एकत्रित कर बहाव क्षेत्र में खुद के स्तर पर एनिकट बनाने की ठानी। इसके लिए 45 ट्रैक्टर, 7 जेसीबी चलाकर महज सात दिनाें में 450 से ज्यादा लोगों ने श्रमदान कर तीन एनिकट बना दिए थे।
इस तरह दोबारा बनाया देहलवास एनिकट
एनिकट को दोबारा तैयार करने में तीन दिन लगे। कार्य में देहलावास, टोडरवास, खानवास सहित अन्य आसपास के गांवों के करीब दो सौ युवाओं सहित ग्रामीणों ने दिन रात मेहनत की। दोबारा एनिकट बनाने में करीब चार लाख का खर्चा आया। इसमें करीब 25 ट्रैक्टर, दो जेसीबी, दो लोडर से एनिकट निर्माण का कार्य किया गया। एनिकट की करीब 15 फीट ऊंचाई व 40 फीट चौडाई की गई। एनिकट में ओवरफ्लो पानी निकासी के लिए पाइप लगाए गए। इन गांव के लोगों को मिलेगा फायदा
एनिकट लबालब होने से ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। एनिकट के भरने से करीब 15 गांव देहलावास, टोडरवास, डूगरवाता, पिलारामा, खानवास, माडेडा, जैलमपुरा, किशनपुरा टापरिया, मलवास, सहसपुर, सुनारपुरा, खण्डेवल आदि गांवों को फायदा मिलेगा।