प्रारंभिक जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था। परिवार की स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन बचपन से ही दिल में देश की सेवा जज्बा होने के कारण गांव के दौसा से सैकंडरी परीक्षा पास की और सेना में जाने का निश्चय कर लिया। रामबल की सिक्स पेरा रेजीमेंट में भर्ती होकर आगरा में उनको नियुक्ति हो गई।
उन्होंने 1965 की भारत चीन युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाते हुए वीरता के साथ देश के लिए लड़ते रहे। दुश्मनों की गोली सीने में लगने के बाद भी उन्होंने चीनी सैनिकों को पीछे हटाया। ऑपरेशन रिडल के दौरान 22 सितंबर 1965 को मातृभूमि के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देकर शहीद हो गए। रामबल गुर्जर के दो बड़े भाई बीरबल व मूलचंद गुर्जर है। शहीद की पत्नी गुलाब देवी को आज तक केंद्रीय सहायता या राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली सहायता नहीं मिली है।