दंतेवाड़ा

अब गांव के पारंपरिक ढेकी से कूटा चावल और दलिया मिलेगा ऑनलाइन, पूरी प्रक्रिया होगी ऑर्गेनिक

इस प्रसंस्कृत चावल की ऑनलाइन कीमत प्रति 100 ग्राम 19.9 रूपए तय की गई है, यानि प्रति किलो 199 रूपए की दर से यह उत्पाद बिकेगा। प्रसंस्करण के जरिए वैल्यू एडीशन होने का फायदा महिला समूहों को भी मिलेगा।

दंतेवाड़ाAug 18, 2021 / 11:06 am

Karunakant Chaubey

अब गांव के पारंपरिक ढेकी से कूटा चावल और दलिया मिलेगा ऑनलाइन, पूरी प्रक्रिया होगी ऑर्गेनिक

शैलेन्द्र ठाकुर@दंतेवाड़ा. मूसल व पारंपरिक ढेकी से कूटे गए पौष्टिक चावल के स्वाद की सिर्फ कल्पना मात्र ही कर पाने वाली शहरी आबादी भी अब इसका सेवन कर सकेगी। यह अमेजन जैसे ऑनलाइन शॉपिंग मार्ट पर उपलब्धता से संभव हो गया है। कलेक्टर दीपक सोनी की अनूठी पहल पर दंतेवाड़ा जिले में ढेकी यानि धान कूटने के पारंपरिक यंत्र से कूटकर निकाले गए चावल के पैकेट अब अमेजन जैसे ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म पर मिलेंगे।

ये चावल जिले के कटेकल्याण क्षेत्र की ग्रामीण महिलाएं कूटकर तैयार करेंगी। चावल के साथ ही गेहूं से तैयार पौष्टिक दलिया भी अमेजन पर बिक्री के लिए उपलब्ध रहेगा। इससे महिला समूहों को न सिर्फ अच्छी खासी आमदनी मिलेगी, बल्कि जिले के उत्पादों की पहचान जिला व राज्य ही नहीं, बल्कि बाहर भी बढ़ेगी। इसे भी दंतेवाड़ा जिले के अपने खुद के ब्रांड डैनेक्स के नाम पर लांच किया गया है।

बदलाव : पारंपरिक खेती में लगातार हो रहे घाटे से जैविक खेती की ओर बढ़ रहा किसान

इस प्रसंस्कृत चावल की ऑनलाइन कीमत प्रति 100 ग्राम 19.9 रूपए तय की गई है, यानि प्रति किलो 199 रूपए की दर से यह उत्पाद बिकेगा। प्रसंस्करण के जरिए वैल्यू एडीशन होने का फायदा महिला समूहों को भी मिलेगा। कलेक्टर दीपक सोनी के मुताबिक आजीविका वर्धन के प्रयासों की कड़ी में जिले में उपलब्धता के आधार पर अलग-अलग क्षेत्रों में स्पेसिक हब बनाए जा रहे हैं। इसके तहत कटेकल्याण इलाके को ढेकी से धान कुटाई हब के तौर पर विकसित किया जा रहा है।

समूहों के जरिए महिलाएं अपने-अपने घर पर ढेकी से धान कूटकर चावल तैयार करेंगी। जिले में प्रोसेसिंग कर तैयार किए गए सफेद अमचूर की ब्रांडिंग को काफी सफलता मिली थी। इसी तर्ज पर ढेकी चावल व दलिया के साथ ही जल्द ही हल्दी प्रोसेसिंग की भी योजना शुरू होगी।

पूर्णत: जैविक चावल होगा

ढेकी से तैयार चावल पूर्णत: जैविक होगा। दरअसल, दंतेवाड़ा जिले में बीते 7 साल कृषि कार्यों में रासायनिक खाद का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर दिया गया है। इस वजह से यहां उपजाए जाने वाली धान की किस्में समेत अन्य कृषि उत्पाद पूर्णत: जैविक खाद पर ही आधारित हैं। इस वजह से जिले की धान उपज से तैयार चावल भी जैविक ही होगा।

पौष्टिकता बरकरार रहती है

दरअसल, मूसल व ढेकी में कूटने पर धान का छिलका तो निकलता है, लेकिन चावल की उपरी परत में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व बरकरार रहते हैं, जो कई तरह की बीमारियों से बचाते हैं। इसे ही ग्रामीणों के सेहतमंद होने का असली राज माना जाता है। जबकि बिजली चलित आधुनिक मिलों में होने वाली कुटाई में चावल का पॉलिश हो जाता है, जिससे बाजार में उपलब्ध चावल में ये पौष्टिक तत्व नदारद रहते हैं।

क्या है ढेकी?

दरअसल, ढेकी धान कूटने का पारंपरिक यंत्र है, जो पेड़ के मोटे व वजनी तने से बनाया है। इसे एक छोर से पैर से दबाकर कूटा जाता है। दूसरे छोर पर लगे मूसल से ओखलीनुमा लकड़ी पर भरे गए धान की कुटाई होती है। इस तरफ भी एक व्यक्ति को रहकर काम करना पड़ता है।

हाथ से कूटे हुए चावल के फायदे

इसमें चोकर, बीज और एंडोस्पर्म के मौजूदगी के कारण बहुत सारे फाइबर होते हैं। 80 प्रतिशत मिनरल चोकर में होते हैं और बीज में विटामिन ई, मिनरल, अनसैचुरेटेंड फैट, एंटी ऑक्सिडेंट और फाइटो केमिकल्स होते हैं।

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