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बाद में इन केबिन को पोटाकेबिन कहा जाने लगा। बीजापुर के भैरमगढ़ में 13, उसूर में आठ भोपालपटनम में छ: और बीजापुर में सात पोटाकेबिन अब भी संचालत हैं। इन पोटाकेबिन में बालक- बालिका आवासीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं । छह साल पहले ही इनकी मियाद खत्म हो जाने से इन सभी की हालत खराब काफी हो चुकी हैं।
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अधिकतर पोटाकेबिन में बिजली सप्लाई की वायरिंग खराब है। वायर पाइप से निकलकर खुले में लटक रहे हैं। बोर्ड की कील भी उखड़ गई है । करंट इन नंगे तारों से होकर गुजरता है। ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। इन सभी बड़ी समस्याओं पर अधिकारियों का ध्यान नही जाता है। जब कोई घटना होने पर छोटे कर्मचारियो पर कार्यवाही कर अपना हाथ निकाल लेते है।