अवसाद ऐसा कि सब खत्म होने का अहसास, अक्सर ये सुसाइड की वजह जिले में नवविवाहिताओं की आत्महत्या के पीछे कुछ मामलों में घरेलू हिंसा व दहेज प्रताडऩा और युवाओं द्वारा इस तरह के कदम उठाने के पीछे कर्ज, आर्थिक समस्याएं, परिवारिक की चिंताएं, प्रेम संबंधों में विफलता या टॉक्सिक रिलेशनशिप प्रमुख रूप से सामने आई हैं। आत्महत्या या आत्महत्या के प्रयास के पीछे भले ही कारण अलग अलग रहे हों, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि इन सभी कारणों से लोग गंभीर अवसाद का शिकार होते हैं और अवसाद से उबर न पाने के कारण पीडि़तों को ये तक एहसास होता है मानो सबकुछ खत्म हो चुका। मन और दिमाग में अक्सर यही हावी होने पर लोग आत्मघाती कदम उठाने से भी नहीं चूकते।
जिले में नहीं होती जागरुकता, न काउंसिलिंग बढ़ती आत्महत्याओं को लेकर जिम्मेदार चिंता का विषय तो मान रहे हैं, लेकिन इनकी रोकथाम के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। अवसाद से ग्रसित लोग ही अक्सर आत्मघाती कदम उठाते हैं, लेकिन इनकी मदद के लिए जिले में काउंसिलिंग की व्यवस्था ही नहीं है और न ही आत्महत्याएं रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम या वेबिनार आयोजित होते हैं। ऐसे में आत्महत्याएं कैसे रोकीं जाएं, ये बड़ा सवाल बना हुआ।
हर सप्ताह सुसाइड के तीन मामले आ रहे सामने पिछले एक महीने के दौरान करीब दर्जनभर लोगों ने आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। देखा जाएख् तो हर सप्ताह आत्महत्या के तीन मामले सामने आए हैं। हैरानी की बात ये है कि बीते साल की अपेक्षा आत्महत्या के मामलों में इजाफा होना बताया जा रहा है। खास बात ये है कि ये आंकड़े मीडिया में आई रिपोर्ट के आधार पर हैं। जबकि आत्महत्या से जुड़े आधिकारिक आंकड़े और भी अधिक होने की संभावना है।
आत्मघाती कदम उठाने में नवविवाहिता व युवा अधिक जिले में आत्मघाती कदम उठाने वालों में नवविवाहिताएं और युवा उम्र के लोग सबसे अधिक हैं। आत्महत्या के मामलों पर गौर करें, तो इनमें 18 से 35 वर्ष के मरने वाले अधिक रहे। कई नवविवाहिताओं ने भी शादी के 6 माह से 1 साल के दौरान आत्महत्याएं की। जिनकी उम्र भी 18 से 22 के बीच रही।