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दमोह

मां रुक्मणी प्रतिमा कब हुई थी चोरी,कहां मिली और कैसे हुई वापसी संभव, यहां पढ़ें…

दमोह पहुंची मां रुक्मिणी की प्रतिमा, लोगों में उत्साह

दमोहAug 21, 2019 / 06:04 pm

Samved Jain

Rukmani Mat kundalpur damoh
दमोह. वर्षों के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर ( Rukmani devi Pratima back damoh ) दमोह की जनता को मां रुक्मणी देवी ( Rukmani devi maa ) की प्रतिमा 21 अगस्त 2019 को दमोह ( damoh ) पहुंच गई है।। पर्यटन मंत्री व दमोह सांसद प्रहलाद सिंह पटेल ( Prahlad Singh Patel ) के प्रयासों से मां रुक्मणी देवी की प्रतिमा की विदिशा के ग्यारसपुर संग्रहालय ( Gyaraspur Sangralaya Vidisha ) से दमोह वापसी संभव हो सकी है। दमोह पहुंची मां रुक्मणी की प्रतिमा के दर्शन करने बड़ी संख्या में लोग तीन गुल्ली पहुंचे। जहां से मूर्ति को दमयंती संग्रहालय दमोह लाया जाएगा। मां रुक्मणी देवी की प्रतिमा कुंडलपुर मठ ( Kundalpur ) से कब चोरी हुई, कहां मिली और कैसे हुई वापसी संभव आप नीचे पूरी जानकारी पढ़ेंगे।
मां रुक्मणी देवी की प्रतिमा की दमोह पहुंचने की खबर जैसे ही दमोह में फैली, लोगों में उत्साह की उमंग जाग उठी। हर कोई मां रुक्मणी की प्रतिमा के प्रथम दर्शन करने आतुर नजर आया। 21 अगस्त 2019 की शाम करीब 6 बजे मां रुक्मणी प्रतिमा दमोह पहुंची। जहां पहले से मौजूद बड़ी तादाद में भक्तों ने माता के दर्शन किए। साथ ही जयकारे लगाए। इसके बाद एक जुलूस स्वरूप प्रतिमा को लेकर लोग विभिन्न रास्तों से होते हुए दमयंती संग्रहालय दमोह पहुंचेंगे। जहां फिलहाल मां रुक्मणी देवी की प्रतिमा का रखा गया। इसके बाद यह प्रतिमा कुंडलपुर मठ भेजी जाएगी। मां रुक्मणी देवी की मूर्ति कुंडलपुर कब और कैसे जाएगी, इसका फिलहाल कार्यक्रम तय नहीं हुआ है।
Maa Rukmani Devi Pratima Kundalpur mat damoh

कुंडलपुर से कब चोरी हुई थी मां रुक्मणी प्रतिमा और कहां मिली
दमोह जिले से 37 किलोमीटर दूर स्थित प्रसिद्ध तीर्थ कुंडलपुर पटेरा ब्लॉक में है। कुंडलपुर में स्थित मां रुक्मणी मठ से 4 फरवरी 2002 की रात अज्ञात चोरों द्वारा मां रुक्मणी की वेशकीमती प्रतिमा को चोरी कर लिया था। मामले की शिकायत पटेरा थाने में दर्ज कराई गई थी। बाद में यह प्रतिमा राजस्थान के हिंडोली जिला से अप्रैल 2002 में ही बरामद कर ली गई थी। इसके बाद मां रुक्मणी की प्रतिमा को विदिशा के ग्यारसपुर संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया था। चोरी को लेकर कुछ लोग बताते है कि 1998/99 में यह प्रतिमा चोरी हुई थी।

मां रुक्मणी प्रतिमा kundalpur damoh

मां रुक्मणी की प्रतिमा की कैसे दमोह वापसी हुई संभव
2002 में मां रुक्मणी की प्रतिमा चोरी होने और मिलने के बाद भी ग्यारसपुर संग्रहालय में रखे रहने का मुद्दा दमोह में काफी उछला। इसे लेकर राजनीति भी काफी हावी रही। 2014 में दमोह से सांसद चुने गए प्रहलाद सिंह पटैल ने मां रुक्मणी देवी की प्रतिमा को वापस कुंडलपुर मठ में लाने का संकल्प लिया था। वह मामले को संसद तक ले गए, लेकिन वह अपने प्रथम कार्यकाल में पूरा न कर सके। 2019 के चुनाव में एक बार फिर उन्होंने मां रुक्मणी प्रतिमा को वापस लाने का संकल्प दोहराया। हालांकि, इससे पहले कांग्रेस नेता और दमोह विधायक विधानसभा चुनाव के दौरान इस मुद्दे को अपने घोषणापत्र में भी शामिल करने से नहीं चूके। 2019 लोकसभा चुनाव के बाद दमोह से दोबारा सांसद बने प्रहलाद सिंह पटेल को जैसे ही मोदी मंत्रीमंडल में पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय का मंत्री बनाया गया, लोगों को रुक्मणी देवी की प्रतिमा की वापसी की उम्मीद जाग गई थी। यही वजह रही कि मां रुक्मणी की प्रतिमा 21 अगस्त 2019 को दमोह वापस पहुंच चुकी है।

मां रुक्मणी प्रतिमा kundalpur with Prahlad singh patel

मां रुक्मणी के बिन सूना मठ होगा रौशन
2002 के बाद से सूना मां रुक्मणी का कुंडलपुर मठ एक बार फिर रौशन होगा। 17 साल बाद मां रुक्मणी के दर्शन लाभ भक्तों को मिलेंगे। धार्मिक अनुष्ठान के साथ पुन: मां रुक्मणी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा होगी। 21 अगस्त 2019 को मां रुक्मणी की प्रतिमा दमोह वापस पहुंचने के बाद अब कब कुंडलपुर मठ में पुन: स्थापित होगी, इसका कार्यक्रम भी जल्द तय होगा।

पुरात्तव के अधीन है कुंडलपुर का रुक्मणी मठ
जिला मुख्यालय से 37 किमी दूर स्थित मठ राज्य पुरात्तव विभाग के अधीन है। मठ की सुरक्षा के मद्देनजर पुरातत्व विभाग द्वारा एक चौकीदार को तैनात कर रखा है। यह मठ वर्गाकार आकृति में सपाट स्तंभ का वास्तु विन्यास है। कुण्डलपुर निवासी पूरन लाल सेन ने बताया कि रुक्मिणी मठ प्राचीन काल का मठ है। यहां माता रुक्मिणी की प्रतिमा विद्यमान थी , जो कुछ वर्षों पहले यहां से चोरी हो गई थी।

Maa Rukmani Mat Kundalpur damoh

रुक्मणी मठ को लेकर यह कथा भी प्रचलित
बताते है कि सुखसागर में वर्णित है की मां रुक्मणी का हरण कुंडलपुर से हुआ था। प्राचीन काल में इसे कुंदनपुर के नाम से जाना जाता था। अंबिका की पूजा के लिए पहुंची रुकमणी को भगवान श्री कृष्ण द्वारा हरण कर लिया गया था। इसी वजह से इस पवित्र स्थान से लोगों की आस्था जुडी हुई है। माता रानी के दरबार में मत्था टेकने के लिए बड़े-बड़े नेता अधिकारी-कर्मचारी यहां आते रहते है।

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