script15 साल में कुंडलपुर तक नहीं पहुंच सकी रेल लाइन, लोगों ने बनाया मुद्दा | Politics- Railway line, people have not been able to reach Kundalpur | Patrika News
दमोह

15 साल में कुंडलपुर तक नहीं पहुंच सकी रेल लाइन, लोगों ने बनाया मुद्दा

पटेरा से उठी आवाज, आखिर चुप क्यों रही सरकार

दमोहOct 30, 2018 / 11:42 am

lamikant tiwari

राजनीति- 15 साल में कुंडलपुर तक नहीं पहुंच सकी रेल लाइन, लोगों ने बनाया चुनावी मुद्दा

राजनीति- 15 साल में कुंडलपुर तक नहीं पहुंच सकी रेल लाइन, लोगों ने बनाया चुनावी मुद्दा

दमोह/पटेरा. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अब लोगों ने स्वयं के मुद्दे बनाना शुरू कर दिए हैं। उनके यहां वोट मांगने के लिए जाने वाले प्रत्याशियों ने सीधी बात करने की ठान ली है। हटा विधानसभा क्षेत्र में भी लंबे से सुविधाओं के अभाव में रहने वाले लोगों ने इस बार स्वयं के मुद्दों पर बात करने का मन बनाया है। पटेरा में पत्रिका से की गई बातचीत में लोगों ने कई तरह के मुद्दों पर चर्चा की।
पटेरा निवासी रीतेश बड़कुल का कहना है कि दमोह से कुण्डलपुर के बीच में लिक रेल लाइन डालने के लिये 26 फ रवरी 2005 को रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने रेल बजट 2005.2006 के प्रस्तुतिकरण के भाषण में सर्वे कर नई लाइन डालने की घोषणा की गई थी। जिसका पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर जोन द्वारा सन 2006 में टोह इंजीनियरी यातायात सर्वे हुआ था। जिसमें 1.676 मी, लम्बाई 35.25 किमी में रेल लाइन दमोह से कुण्डलपुर वाया हिन्डोरिया, पटेरा के बीच डाला जाना तय किया गया था। जिसमें दमोह-कुण्डलपुर के बीच रेलवे लाइन की सर्वे रिपोर्ट पास होने पर कुल तय बजट 49.01 करोड़ राशि को 50 प्रतिशत रेल मंत्रालय एवं ५० प्रतिशत पदेश सरकार को देना था। लेकिन उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार होने से प्रदेश सरकार ने ५० प्रतिशत खर्च करने से हाथ खड़े कर दिए थेे। लेकिन उसके बाद केंद्र व प्रदेश में एक ही पार्टी कर सरकार होने के बाद भी रेल लाइन को स्वीकृति नहीं मिल सकी। जिसको लेकर अब पटेरा क्षेत्र के साथ हटा विधानसभा के लोगों ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया है।
अब तक नहीं स्थापित नहीं किया सका कॉलेज –
स्थानीय निवासी दीपेन्द्र चौधरी का कहना है कि हटा विधानसभा में पटेरा बड़ी तहसील होने के बाद भी शिक्षा व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। लोगों ने लंबे समय से कॉलेज की मांग कर रखी है। क्षेत्र के लोगों को दमोह जाना पड़ता है। वहां जाकर पढ़ाई करना पड़ता है। जबकि हजारों युवा पटेरा क्षेत्र से दमोह कॉलेज में पढऩे विवश होते हैंं। जिन्हें आर्थिक व शारीरिक व मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।
स्वास्थ्य में अब तक नहीं हुआ सुधार-
स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर दीपक उपाध्याय का कहना है कि पटेरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अब तक मरीजों को सुविधाएं नहीं होने से मरीजों को या तो दमोह रेफर किया जाता है, या फिर सीधे जबलपुर ही रेफर कर दिया जाता है। डाक्टरों की कमी के चलते पूर्व में पटेरा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम नीमखेड़ा निवासी एक ही परिवार के पांच सदस्यों की मौत हुई थी, लेकिन उसके बाद भी प्रशासन ने अब तक डॉक्टरों की स्थायी व्यवस्था नहीं कराई। जिससे पूरे क्षेत्र के लोग परेशान हैं।
आईटीआई खोला लेकिन व्यवस्था नहीं कराई –
पटेरा निवासी निखिल जैन का कहना है कि आईटीआई कॉलेज खोलने के बाद यहां स्थायी व्यवस्था नहीं की जा सकी है। खास बात यह है कि पहुंच मार्ग भी इतना जर्जर है कि छात्र आईटीआई कॉलेज जाने के लिए तैयार नहीं होते। सालों बाद भी इस ओर शिकायतों के बाद भी किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस मामले में भी क्षेत्रीय लोगों ने इस विधानसभा में मुद्दा बनाने का मन बना रखा है।
खुले में खड़े होकर करते हैं बस का इंतजार –
स्थानीय निवासी सानू सोनी व भरत ताम्रकार का कहना है कि हर बार लोग चुनाव होते ही वोटें मांगने तो आ जाते हैं, लेकिन समस्याओं की ओर किसी का ध्यानाकर्षण नहीं होता। पटेरा तहसील मुख्यालय होने के बावजूद यहां यात्री प्रतीक्षालय क्षतिग्रस्त हालत में सालों से पड़ा हुआ है। सभी जनप्रतिनिधियों की जानकारी है, फिर भी किसी ने इस ओर ध्यानाकर्षण नहीं किया। यात्रियों को खुले आसमान के नीचे बसें आने का इंतजार करना पड़ता है।
विकास के नाम पर कुछ भी नहीं-
मुजाबिर खान व दुलीन्द चौधरी का कहना है कि पिछले कई सालों से क्षेत्र के लोग सड़क, पानी व बिजली के लिए परेशान हैं, लोगों को रोजगार नहीं मिलने से उन्हें दूसरे जिलों में जाकर मजबूरी करना विवशता रहती है। लोगों ने कई बार उद्योग कारखानों को खोले जाने की मांग की। लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। यही कारण है कि क्षेत्र के मतदाताओं ने इस चुनावी मुद्दा बनाने का मन बना रखा है।

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