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खाद्य विभाग के अमले ने नहीं की जांच, कुछ दुकानों पर बिक रहा मिलावटी मावा

मुरैना, ग्वालियर व भिंड से आ रहा खोवा दमोह. शरद पूर्णिमा का त्योहार जिले भर में धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके लिए घरों में खोवा खरीदकर लड्डू बनाने की तैयारी भी हो गई है। हर घर में खोवा के लड्डू बनाए जाते हैं या लोग खरीदकर लाते हैं। इसी की चढ़ौत्री के बाद सभी प्रसाद […]

दमोहOct 17, 2024 / 06:42 pm

हामिद खान

कुछ दुकानों पर बिक रहा मिलावटी मावा

कुछ दुकानों पर बिक रहा मिलावटी मावा

मुरैना, ग्वालियर व भिंड से आ रहा खोवा

दमोह. शरद पूर्णिमा का त्योहार जिले भर में धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके लिए घरों में खोवा खरीदकर लड्डू बनाने की तैयारी भी हो गई है। हर घर में खोवा के लड्डू बनाए जाते हैं या लोग खरीदकर लाते हैं। इसी की चढ़ौत्री के बाद सभी प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करते हैं। ऐसे में शरद पूर्णिमा पर भारी मात्रा में खोवे की खपत जिले भर में होती है। जो कि मुरैना, ङ्क्षभड, ग्वालियर, दतिया से दमोह पहुंचता है। कुछ दुकानों पर नकली और मिलावटी मावा की संभावना बनी रहती है।
इसी मावा को बाजार में बेचा जाता है। नतीजा, हर बार खोवे, मावा से बने लड्डू खाकर परिवार के परिवार बीमार होते हैं, जिन्हें अस्पताल लाया जाता है। खास बात यह है कि मिलावटी खोवे की गंभीर शिकायतें होने के बाद भी खाद्य सुरक्षा विभाग कोई खास कार्रवाई नहीं करता है। वहीं त्योहार के एक- दो दिन पहले बाजार में सैंपङ्क्षलग कार्रवाई शुरू कर देता है, जिसकी रिपोर्ट भी त्योहार बाद आती है। ऐसे में सैंपङ्क्षलग का मतलब भी कुछ नहीं निकलता है। वहीं दुकानदारों के अनुसार त्योहार के समय सैंपङ्क्षलग के नाम पर वसूली की जाती है।
ऐसे करें खोवा की गुणवत्ता की जांच: खोवा में आरारोट, आटा, स्टार्च की मिलावट का पता करने के लिए खोवा की कुछ मात्रा लेकर उसमें पानी मिलाकर घोल तैयार कर लें। उक्त घोल में ङ्क्षटक्चर आयोडीन की कुछ बूंद मिलाएं। उक्त घोल का रंग अगर बैंगनी काले रंग का हो जाए तो उसमें आरारोट की मिलावट की पुष्टि होती है। इसी प्रकार खोवा में डालडा या वनस्पति घी की मिलावट पता करने के लिए खोवा की कुछ मात्रा को पानी में घोलकर घोल बनाएं। उक्त घोल में सांद्र हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कुछ बूंदे मिलाएं। कुछ देर बाद उसमें शक्कर के दाने मिलाने पर उक्त घोल का रंग अगर लाल बैंगनी हो जाता है तो उक्त खोवा में डालडा वनस्पति घी की मिलावट की पुष्टि होती है।
बाजार में २०० से १००० तक की मिठाई
पत्रिका ने शरद पूर्णिमा के पहले बाजार में अलग-अलग जगहों पर खोवा और मिठाई बेचने वालों की कुछ दुकानों पर पहुंचकर चर्चा की। जिसमें पता चला कि खोवा के भाव जहां अलग-अलग क्वालिटी के अनुसार है। वहीं मिठाई भी २०० रुपए किलो तक में उपलब्ध है। हालांकि, इसका अधिकतम रेट 1000 रुपए किलो तक बताया जाता है। ऐसे में स्पष्ट है कि खोवा की कितनी वैरायटी बाजार में उपलब्ध होती है। जो आम लोग समझ नहीं पाते है। इसी कारण सस्ते के चक्कर में नकली खोवा ले जाते है।
हम कार्रवाई कर रहे हैं
खाद्य सुरक्षा विभाग डीओ राकेश अहिरवार ने बताया कि हम लगातार कार्रवाई कर रहे है। अभी हमने घंटाघर के पास हनुमान गढ़ी स्वीट््स व उमा मिस्त्री की तलैया स्थित नेमा मावा भंडार में विक्रय के लिए संग्रहित खोवा व खोवा लड्डू के स्टॉक गुणवत्ता की जांच मैजिक बॉक्स से की गई। मौके पर खोवा विक्रेताओं को शुद्ध व सुरक्षित खोवा व खोवा लड्डू उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।

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