-एक महीने में 72 लाख रुपए का बन रहा बिल
पड़ताल के दौरान मालूम चला है कि एलएमओ की एवज में प्रबंधन हर महीने 6 लाख रुपए की ऑक्सीजन खरीद रहा है। हालांकि बिल सत्यापन प्रबंधन के हाथ में है। राशि का भुगतान शासन स्तर से किया जा रहा है। साल में यह राशि 72 लाख रुपए तक पहुंच रही है।
-कुछ वार्डों में सिलेंडर से हो रही ऑक्सीजन की सप्लाई
अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति सिलेंडरों के जरिए भी हो रही है। कुछ वार्ड ऐसे हैं, जहां सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन की सुविधा नहीं है। यहां पर सिलेंडर उपयोग किए जा रहे हैं। इनमें आई विभाग और इमरजेंसी के कुछ वार्ड शामिल हैं।
-15 दिन में हो रही रिफलिंग
पीएसए प्लांट के बंद होने से अस्पताल में हर १५ दिन में ऑक्सीजन की रिफलिंग हो रही है। यहां पर जीपीएस सिस्टम लगा होना बताया जा रहा है। भोपाल से इसे मॉनीटर किया जाता है। ऑक्सीजन लेवल कम होने पर लिक्विड ऑक्सीजन भोपाल से आ जाती है।
वर्शन
पीएसए प्लांट के बंद होने के संबंध में मैंने जांच की है। दो साल पहले इसे चालू कराने के लिए पत्र भेजा गया था, लेकिन वहां से अभी तक जवाब नहीं मिला।
डॉ. राकेश राय, सिविल सर्जन दमोह