-77 साल पुराना है स्थापना का इतिहास महाकाली की प्रतिमा की स्थापना की परंपरा 77 साल पहले 1947 में आरंभ हुई थी। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य महाकाली के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करना है। नवरात्रि के दौरान महाकाली चौराहा पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। जो महाकाली के दर्शन और पूजा अर्चना में शामिल होते हैं। इस आयोजन के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो। पुलिस बल की तैनाती से भक्तों को सुरक्षा का भरोसा मिलता है और वे बिना किसी चिंता के महाकाली के दर्शन कर सकते हैं। ऐसे में महाकाली प्रतिमा की स्थापना और सुरक्षा की यह परंपरा न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में सुरक्षा और शांति का संदेश भी देती है।
इन जेवरों से होता है महाकाली का श्रृंगारमहाकाली की प्रतिमा का सोने चांदी के जेवरों से भव्य श्रृंगार किया जाता है। इन आभूषणों में सोने का हार, लॉकेट, नथ, चूड़ी और चांदी का मुकुट, करधनी, पायल, छत्र आदि शामिल हैं। वहीं प्रतिमा विसर्जन के बाद आभूषणों को सुरक्षित लॉकर में रखा जाता है।