प्रेस नोट में बताया गया कि विकास दुबे को सरकारी वाहन में ले जाया जा रहा था। जैसे ही एसटीएफ की गाड़ियां कानपुर नगर के सचेण्डी के पास पहुंचा, तभी गाय—भैंसों का एक झुण्ड भागता हुआ सड़क पर आ गया, जो दुर्घटना का कारण बना। लंबी यात्रा से थके हुए ड्राइवर ने जैसे ही गाय—भैंसों का बचाने का प्रयास किया तो विकास दुबे वाली गाड़ी बेकाबू होकर पलट गई। इस घटना में गाड़ी में सवार पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिसका फायदा उठाकर विकास दुबे ने एक पुलिसकर्मी का सरकारी पिस्टल निकाल लिया और गाड़ी से निकलकर कच्चे रास्ते की ओर भाग निकला।
तभी पीछे वाली गाड़ियों में चल रहे अन्य पुलिसकर्मियों ने विकास को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन उसने पुलिसवालों पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। आत्मरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों ने जब फायरिंग का जवाब दिया तो इस गोलीबारी में विकास दुबे गंभीर रूप से घायल हो गया। जिसके बाद उसको इलाज के लिए सरकारी हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया।
आपको बता दें कि कानपुर के पास शुक्रवार सुबह गैंगस्टर विकास दुबे को मारे जाने को लेकर विभिन्न विपक्षी नेताओं की ओर से कई आरोप और दावे सामने आए हैं। विशेषकर राज्य के विपक्षी नेताओं ने इस मुठभेड़ को बड़ी मछलियों को बचाने की एक कोशिश बताया है। मुठभेड़ पर संदेह की उंगली उठाने वालों में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी (सपा) सुप्रीमो अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती, कांग्रेस के जितिन प्रसाद और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के नेता जयंत चौधरी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कटाक्ष करते हुए कहा, दरअसल ये कार नहीं पलटी है, राज खुलने से सरकार पलटने से बचाई गई है। एक दिन पहले यादव ने दुबे के कॉल डिटेल रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने की मांग की थी।